राजस्थान की जोजारी नदी, जो एक बार आसपास के गांवों के लिए जल स्रोत थी, अब प्रभावित हो रही है क्योंकि वहाँ से बहने वाला पानी पीने के लिए सुरक्षित नहीं बचा है। स्थानीय किसानों, ग्रामीणों एवं पर्यावरण अध्ययन रिपोर्टों में बताया गया है कि नदी में औद्योगिक कारखानों से निकलने वाला मल–जल (effluent / industrial discharge) बड़ी मात्रा में मिली-जुली तरह की गंदगी लिए होने के कारण नदी एवं आसपास की बस्तियों के पेयजल स्रोत को दूषित कर रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस प्रदूषण से सैकड़ों गांव प्रभावित हो रहे हैं — न केवल पीने का पानी, बल्कि कृषि उपयोग में भी पानी की गुणवत्ता प्रभावित हुई है।

सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही
स्वतः संज्ञान (Suo Motu Cognizance)
- कब: सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितम्बर 2025 को इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया।
- कौन: मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विक्रम नाथ (Vikram Nath) और न्यायमूर्ति संदीप मेहता (Sandeep Mehta) की बेंच कर रही है।
- क्या आदेश दिया गया:
- इस मामले को औपचारिक सुवो मोटु केसे के रूप में रजिस्टर करने का निर्देश दिया गया।
- साथ ही यह matter भारत के Chief Justice of India (CJI) के समक्ष रखा जाए, ताकि “उचित आदेश” दिए जा सकें।
न्यायालय की चिंता
- पानी का विशुद्धता स्तर गिर गया है; पीने योग्य नहीं रहा।
- यह समस्या सिर्फ कुछ बस्तियों तक सीमित नहीं है, बल्कि सैकड़ों गांव प्रभावित हो रहे हैं।
- औद्योगिक डिस्चार्ज (industrial discharge), यानी कारखानों से निकलने वाला उनका मल–जल — जैसा कि बिना पर्याप्त उपचार के नदी में छोड़ा जा रहा है — इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है।
पीठ ने कहा कि इसके कारण वहाँ का पेयजल मनुष्यों और पशुओं दोनों के लिए पीने योग्य नहीं रहा।
पीठ ने कहा कि इससे वहाँ के स्वास्थ्य और अन्य पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “यह न्यायालय राजस्थान की मरुधरा जोजरी नदी के संबंध में स्वतः संज्ञान ले रहा है, जहाँ मुख्य रूप से कपड़ा और टाइल कारखानों से निकलने वाला बहुत सारा औद्योगिक अपशिष्ट बहाया जा रहा है, जिससे सैकड़ों गाँवों और पशुओं तथा मनुष्यों, दोनों के लिए पेयजल पीने योग्य नहीं रह गया है।”
पीठ ने कहा कि अनुवर्ती कार्रवाई के संबंध में उचित आदेश पारित करने के लिए मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए।
संभावित प्रभाव और कदम
प्रभावित क्षेत्र
- आसपास के गाँवों में जल संकट बढ़ सकता है, क्योंकि लोग जो पानी पीते हैं वह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
- कृषि एवं पशुपालन पर भी असर पड़ेगा, क्योंकि दूषित पानी से फसल और पशु दोनों प्रभावित होंगे।
जरूरी कार्रवाइयाँ
- औद्योगिक इकाइयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका effluent जल प्रबंधन योजना (effluent treatment plants – ETP) ठीक से काम कर रहा हो और मानकों के अनुरूप हो।
- राज्य सरकार अथवा प्राधिकरणों द्वारा नियमित निरीक्षण और पर्यावरण मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना।
- प्रभावित ग्रामीण इलाकों के लिए अल्पकालीन राहत उपाय जैसे मॉबइल वाटर सप्लाई, फिल्टर/रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) सिस्टम आदि।
- न्यायालय द्वारा निर्देशित पर्यवेक्षण; संभव है कि सुप्रीम कोर्ट कुछ मॉनिटरिंग कमेटी या विशेषज्ञ समूह का निर्माण करने के आदेश दे।
यह भी पढ़े
पीठ ने कहा कि इसके कारण वहाँ का पेयजल मनुष्यों और पशुओं दोनों के लिए पीने योग्य नहीं रहा।
पीठ ने कहा कि इससे वहाँ के स्वास्थ्य और अन्य पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “यह न्यायालय राजस्थान की मरुधरा जोजरी नदी के संबंध में स्वतः संज्ञान ले रहा है, जहाँ मुख्य रूप से कपड़ा और टाइल कारखानों से निकलने वाला बहुत सारा औद्योगिक अपशिष्ट बहाया जा रहा है, जिससे सैकड़ों गाँवों और पशुओं तथा मनुष्यों, दोनों के लिए पेयजल पीने योग्य नहीं रह गया है।”
पीठ ने कहा कि अनुवर्ती कार्रवाई के संबंध में उचित आदेश पारित करने के लिए मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए।
राजस्थान की जोजारी नदी का यह मामला पर्यावरण संरक्षण, मानव स्वास्थ्य और औद्योगिक विकास के बीच संतुलन बनाने की चुनौतियां सामने लाता है। सुप्रीम कोर्ट का स्वतः संज्ञान इस बात का संकेत है कि कानूनी विवेक से इस तरह के पर्यावरणीय मामलों की गंभीरता से जांच की जायेगी। अब देखना है कि राज्य सरकार और संबंधित औद्योगिक इकाइयाँ न्यायालय के आदेशों का पालन कैसे करती हैं और जोजारी नदी को पुनः सुरक्षित और पीने योग्य कैसे बनाया जाए।