सीएम गहलोत दे सकते हैं नए जिलों की सौगात
प्रदेश के अलग-अलग इलाकों से नए जिलों की मांग बढ़ रही है, बालोतरा, ब्यावर, नीमकाथाना की मांग ज्यादा है, सीकर को संभाग बनाने की भी मांग उठी है.#balotra #newdistricts #nimkathana #beawar #Rajasthan #balotranews @ashokgehlot51
— Balotra News (@balotranewscom) February 21, 2022
बालोतरा जल्द ही बनेगा जिला
भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व के 103 देशों से बड़े व देश के 5 राज्यों से बड़े जिले बाड़मेर में सुदूर गांवों के लोगों को प्रशासनिक कार्यों के लिए 180 किलोमीटर तक का सफर कर जिला मुख्यालय आना पड़ता है। बाड़मेर जिले की लंबाई 325 किमी तथा चौड़ाई 275 किमी है। बालोतरा उपखंड मुख्यालय की दूरी भी 110 किमी है। कपड़ा उद्योग की बड़ी इकाइयों के चलते बालोतरा में विपुल औद्योगिक संभावनाएं हैं। वर्ष 1980 से ही बालोतरा को अलग जिला बनाने की मांग की जा रही है। हाल ही में सरकार की ओर से बनाई गई कमेटी नए जिलों के प्रस्ताव पर अध्ययन कर रही है। बालोतरा को जिला बनाने के लिए बालोतरा, पचपदरा और सिवाना की जनसंख्या 6 लाख 69 हजार 117 है। सभी मानकों में बालोतरा जिला बनाए जाने के लिए उपयुक्त है।
डीएनपी के 73 गांवों में विकास की आस
बाड़मेर. जैसलमेर- बाड़मेर जिले में 3 हजार 162 किलोमीटर क्षेत्र में फैले डेजर्ट नेशनल पार्क में आने वाले 73 गांवों के लोगों का सुख चैन सब छिन गया है। वे दशकों से पिंजरे में कैद है। जहां पर आधारभूत सुविधाएं दूर की कौड़ी साबित हो रही है। यहां सामाजिक, आर्थिक एवं विकास की सुविधाएं ठप है। डीएनपी के मुद्दे को लेकर आंदोलन किया गया। सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों ने भी कई ख्वाब दिखाए, मगर अभी तक डीएनपी की समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाए हैं। उम्मीद है कि वर्ष 2013 में सरहदी गांवों के लोगों को डीएनपी की समस्या से निजात मिल पाए।
अकाल व आगजनी के लिए बने ठोस नीति
बाड़मेर जिला अकाल का घर कहा जाता है। बीते ग्यारह सालों में नौ अकाल पड़े हैं। सहायता शाखा से मिली जानकारी के अनुसार संवत् 2058 से लेकर अब तक संवत् 2060 व 2067 में सुकाल होने से सरकार को बजट खर्च नहीं करना पड़ा। बाकी नौ सालों में सहायता को लेकर जिले में करोड़ों रुपए खर्च हुए हैं। हालांकि किसी साल अकाल से कम क्षेत्र प्रभावित हुआ तो किसी वर्ष पूरा जिला अकाल की चपेट में आया। संवत् 2059 में जिले की स्थिति बड़ी ही भयानक थी। चारों दिशाओं में सूखा के हालात थे। जिले के तहसील मुख्यालयों पर फायर ब्रिगेड की सुविधा नहीं है।