शक्तिपीठ तनोटराय- सरहद पर बसे तीर्थ के पुननिर्माण का भूमि पूजन
बीएसएफ द्वारा जन सहयोग से करोड़ो की लागत से होगा मन्दिर निर्माण
जसोल- मारवाड़ में स्थित शक्ति पीठो के पुनः निर्माण व समरसता को लेकर जसोल धाम ट्रस्ट की अनुकरणीय पहल जारी है। उसी कड़ी में पश्चिमी सरहद पर स्थित जगतजननी श्री तनोट माता के मंदिर के पुननिर्माण को लेकर भूमि पूजन किया गया।बीएसएफ प्रशासन द्वारा भव्य मंदिर बनाने की जो परिकल्पना की गई है। उसे साकार रूप में लाने को लेकर पंचदशनाम जूना अखाड़ा अंतराष्ट्रीय प्रवक्ता महंत नारायण गिरी महाराज के पावन सानिध्य में भूमि पूजन किया गया। राजस्थान फ्रंटियर महा निरीक्षक पुनीत रस्तोगी के दिशानिर्देशन में बीएसएफ सेक्टर नाॅर्थ के डीआईजी असीम व्यास ने सपत्निक मन्दिर निर्माण के भूमि पूजन कार्यक्रम को सम्पन्न करवाया। लाखों भक्तो की आस्था रूपी पुंज व जन सहयोग से बनने वाले भव्य मंदिर को कुंवर हरिश्चंद्रसिंह जसोल की देखरेख व दुधेश्वर मठ गाजियाबाद पंडित तोयाराज उपाध्याय महाराज के द्वारा वैदिक मंत्रों उच्चारण के साथ किया गया। भूमि पूजन कार्यक्रम के दौरान दान दाताओं ने कई घोषणाएं की। बीएसएफ डीआईजी असीम व्यास ने बताया कि जैसलमेर से लगती पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के निकट स्थित 1200 साल पुराने विख्यात तनोट मातेश्वरी मंदिर का नए सिरे के साथ पुननिर्माण का कार्य शुरू किया जा रहा है। यह मंदिर भव्य कलात्मक शिल्प सौन्दर्य से परिपूर्ण होगा। और जनसहयोग से जैसलमेरी पत्थर से इसका निर्माण करवाया जाएगा। माता के इस मंदिर की करीब 15 से 20 करोड़ रूपए की लागत आने की संभावना है। बीएसएफ द्वारा इसके निर्माण के लिये डिजाईन तैयार करवाई गई हैं। और जब यह मंदिर बन कर निर्माण कार्य पूर्ण होगा। तब एक भव्य नजारा सरहदी क्षेत्र में नजर आएगा। जसोल धाम सदस्य कर्नल शम्भूसिंह ने कहा कि देश पर में अपनी चमत्कारिक गाथाओं व भारत पाकिस्तान सीमा क्षेत्र पर बसे माता तनोट राय के मंदिर का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। पश्चिमी सरहद स्थित तनोट माता के मंदिर पुनः निर्माण की जो संकल्पना की गई जिसमें श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान द्वारा मातेश्वरी के मंदिर के नवनिर्माण हेतु कार्य मे काम आने वाली सामग्री भेंट की। संस्थान ने 2 किलो चांदी से बने निर्मित कुदाली, फावड़ा, चांदी का बड़ा कटौरा व अन्य सामग्री मन्दिर निर्माण को लेकर बीएसएफ को भेंट की। और निर्माण कार्य मे जन सहयोग का आह्वान किया।
एक नजर –
भारत-पाक सरहद पर भारत की रखवाली करने वाली तनोट माता जिन्हें थार की वैष्णो देवी, सैनिकों की देवी और रुमाल वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। 1965 व 71 में भारत-पाकिस्तान के हुए युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाली तनोट माता भारत-पाक सीमा पर बसे सरहदी जिले जैसलमेर के तनोट ग्राम पंचायत में इनका मंदिर स्थित है। जहां प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में भक्त व पर्यटक यहां आते हैं। जिसमें राजस्थान के साथ ही भारत के अन्य राज्यों से भी यहां लोग आकर माता के धोक लगाते हैं और मनोकामना मांगते हैं। वहीं इस माता के मंदिर की पूजा अर्चना का पूरा जिम्मा भारत की प्रथम सुरक्षा पंक्ति बीएसएफ के जवानों के कंधों पर हैं। तनोट माता के दर्शन को नवरात्रि के अवसर पर विशाल जनसमूह उमड़ता है।