बालोतरा के प्राचीन श्री रणछोड़ राय भगवान मंदिर, खेड़ में धनतेरस की शाम अनोखे अंदाज़ में मनाई गई, जहाँ एक लाख दीपकों के भव्य प्रज्वलन से इतिहास रचा गया। मंगलवार की इस संध्या को समर्पित यह आयोजन सर्व समाज की सहभागिता से तीसरे वर्ष संपन्न हुआ, जिसमें हज़ारों की संख्या में भक्तगणों ने उमड़कर तीर्थ स्थल की आभा को अपनी उपस्थिति से और भी रोशन किया।
दीप प्रज्ज्वलन में विशेष कलाकृतियों का निर्माण
इस आयोजन में मुख्य आकर्षण थी युवतियों व महिलाओं द्वारा बनाई गई सुंदर कलाकृतियाँ। तीर्थ स्थल के मीडिया प्रभारी दौलत आर. प्रजापत के अनुसार, 20 बालिकाओं ने मंदिर परिसर में केवट दृश्य, राम-हनुमान मिलन, लक्ष्मी माता, रंग-बिरंगे फूल, और अन्य आकर्षक रंगोलियाँ सजाई। इसी के साथ, सर्व समाज की महिला मंडल ने तीर्थ परिसर में स्वास्तिक, ओम्, राम जी की चरण पादुका, श्रीकृष्ण, सुदर्शन चक्र, शंख, और शिव नंदी की कलाकृतियाँ सजाकर हज़ारों दीपकों से उजाला किया।
एक खाली भूभाग में विशेष रूप से अयोध्या श्रीराम मंदिर की कलाकृति में 250 बालिकाओं व महिलाओं ने मिलकर 50,000 दीप प्रज्वलित किए, जो सभी श्रद्धालुओं के लिए मनमोहक दृश्य बन गया।
30 मिनट में एक लाख दीप प्रज्वलित
शाम 5 बजे संत सनातन राम महाराज द्वारा शंखनाद के साथ आयोजन की विधिवत शुरुआत हुई। संतों ने मंच पर श्री रणछोड़ राय भगवान और बालाजी महाराज की तस्वीरों के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का श्री गणेश किया। संध्या 6 बजे राम सीता लक्ष्मण की जीवंत झांकी से श्रीराम के अयोध्या आगमन और राज्याभिषेक का आयोजन हुआ। इसी के साथ ही एक लाख दीप प्रज्ज्वलित करने की प्रक्रिया आरंभ हुई, जो सामूहिक प्रयासों से 30 मिनट में पूरी की गई।
इस अवसर पर महालक्ष्मी की आरती की गई और मंच पर रामायण के विभिन्न दृश्यों का जीवंत मंचन किया गया। पुष्प वर्षा और भव्य आतिशबाजी ने उपस्थित लोगों के मन को और भी प्रफुल्लित कर दिया।
संतों का संबोधन और संस्कृति की सराहना
इस अवसर पर संत सनातन महाराज, संत निर्मल दास, और साध्वी मनु श्रीथा ने सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति, और एकता का संदेश देते हुए सभी भक्तों का उत्साहवर्धन किया। महोत्सव समिति द्वारा संतों का स्वागत एवं सम्मान भी किया गया।
समारोह का समापन भव्य आतिशबाजी से
इस अद्वितीय महोत्सव का समापन रंग-बिरंगी आतिशबाजी के शानदार प्रदर्शन के साथ हुआ, जिसने समस्त तीर्थ स्थल को आभायुक्त कर दिया। शरद गोयल द्वारा मंच संचालन किया गया, जिन्होंने भक्तों की भावनाओं को जोड़ते हुए कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न कराया।
यह आयोजन न केवल बालोतरा बल्कि पूरे राजस्थान के लिए एक अद्भुत प्रेरणा का स्रोत बना है, जिसने सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के गौरव को पुनः स्थापित किया।