राजस्थानी संस्कृति से रंगा तिलवाड़ा मेला, मेलार्थियों ने की खरीदारी
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लोक कलाकारों ने बांधा समा
बालोतरा जिले के तिलवाड़ा में आयोजित श्री मल्लीनाथ तिलवाड़ा पशु मेला अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भव्यता के साथ पूरे जोश से मनाया जा रहा है। मंगलवार को प्रारंभ हुए इस विख्यात मेले में राजस्थानी हाट बाजार, पशु व्यापार और पारंपरिक लोक संस्कृति के विविध रंग देखने को मिल रहे हैं।

धार्मिक आस्था और पशु व्यापार का संगम
बुधवार को श्री मल्लीनाथ तिलवाड़ा पशु मेले में हजारों श्रद्धालु पहुंचे और रावल मल्लीनाथ एवं राणी रूपादे के मंदिर में दर्शन कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद लूणी नदी के तट पर ग्रामीणों और व्यापारियों ने पशु एवं कृषि उपयोगी उपकरणों की खरीदारी की। ऊंट, बैल, घोड़े, भैंस और अन्य पशुओं की बिक्री व खरीद के लिए यह मेला पूरे राज्यभर में प्रसिद्ध है।
मेलार्थी यहां ऊंट की सवारी का भी आनंद उठाते देखे गए, जो इस मेले की खास पहचान है। मेले में आए ग्रामीण और व्यापारी बड़े पैमाने पर पशु खरीदने और बेचने पहुंचे, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलता है।

सांस्कृतिक संध्या में लोक कला का जादू
मेले की खास बात मालानी सांस्कृतिक संध्या 2025 रही, जिसे माता राणी भटियाणी संस्थान जसोल के सहयोग से आयोजित किया गया। कार्यक्रम में दयाराम मेडता एंड पार्टी द्वारा अमर सिंह राठौड़ की जीवनी पर आधारित कथा प्रस्तुत की गई, जिसने दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
इसके अलावा, अन्य प्रसिद्ध प्रस्तुतियों में सत्यवादी राजा हरिशचंद्र एवं राणी तारामती की कथा, हास्य नाटक राजा मोरध्वज, ख्यात लोक नृत्य, गायन और हास्य संवाद शामिल रहे। इन लोक कलाओं ने मेले में आए लोगों का भरपूर मनोरंजन किया और राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत कर दिया।

प्रशासन की ओर से बेहतर व्यवस्थाएं
मेले की सुचारू व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन भी सतर्क रहा। उपखंड अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि इस वर्ष मेले में बड़ी संख्या में लोगों के आने के कारण सुरक्षा और सुविधाओं को लेकर विशेष प्रबंध किए गए हैं। यात्रियों और व्यापारियों की सुविधा के लिए प्रशासन ने पेयजल, चिकित्सा और यातायात की बेहतर व्यवस्था की है।
तिलवाड़ा मेला: विरासत और परंपरा का प्रतीक
यह मेला न केवल राजस्थान की धार्मिक आस्था, पशुपालन और व्यापार का केंद्र है, बल्कि लोक संस्कृति के संरक्षण का भी महत्वपूर्ण माध्यम है। हर साल यहां दूर-दूर से व्यापारी, पशुपालक और श्रद्धालु पहुंचते हैं, जिससे यह मेला राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण मेलों में गिना जाता है।

इस प्रकार, श्री मल्लीनाथ तिलवाड़ा पशु मेला 2025 राजस्थानी संस्कृति, व्यापार और आस्था का एक अभिन्न संगम बनकर एक बार फिर सफलतापूर्वक संपन्न हो रहा है।