जोधपुर/पाली/बाड़मेर, 21 अप्रैल 2025:
राजस्थान के बहुचर्चित कमलेश प्रजापत फर्जी एनकाउंटर कांड ने एक बार फिर राज्य की राजनीति और पुलिस व्यवस्था में भूचाल ला दिया है। CBI की क्लोजर रिपोर्ट को विशेष अदालत द्वारा खारिज करते हुए अदालत ने 24 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ हत्या, आपराधिक षड्यंत्र, साक्ष्य मिटाने जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।

अदालत ने इस मामले में पूर्व राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, उनके भाई मनीष चौधरी, और तत्कालीन जोधपुर IG एन. गोगोई सहित अन्य की भूमिका की गहन जांच के लिए CBI को दो माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
🔍 CBI की क्लोजर रिपोर्ट को क्यों खारिज किया गया?
CBI द्वारा दायर की गई क्लोजर रिपोर्ट में कथित एनकाउंटर को न्यायोचित ठहराने की कोशिश की गई थी, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि यह फर्जी मुठभेड़ थी।
अदालत ने CBI के रवैये पर असंतोष जताते हुए कहा कि कई महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी की गई है और कई आरोपियों की भूमिका की उचित जांच नहीं हुई।

👮♂️ जिन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है:
क्रम | नाम | पद (तत्कालीन) | धाराएं |
---|---|---|---|
1 | कालूराम रावत | SP, पाली | 120बी (षड्यंत्र) |
2 | आनंद शर्मा | SP, बाड़मेर | 120बी |
3 | रजत विश्नोई | वृत्ताधिकारी, सुमेरपुर | 120बी, 195 |
4 | पुष्पेंद्र आढ़ा | DySP, SC/ST सेल | 302, 147, 148, 149, 120बी, 201 |
5 | प्रेमप्रकाश | थानाधिकारी, बाड़मेर कोतवाली | 302, 147, 148, 149, 120बी, 201 |
6 | पर्बतसिंह | थानाधिकारी, बाड़मेर ग्रामीण | 302, 147, 148, 149, 120बी, 201 |
7-24 | अन्य 18 पुलिसकर्मी | बाड़मेर पुलिस | 302, 147, 148, 149, 120बी, 201 |

🔎 जिनकी भूमिका की आगे जांच होगी:
- हरीश चौधरी (पूर्व राजस्व मंत्री)
- मनीष चौधरी (हरीश चौधरी के भाई)
- एन. गोगोई (तत्कालीन IG, जोधपुर रेंज)
- अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, पाली
- अन्य पुलिस अधिकारी, जो प्रकरण संख्या 30/2021 में शामिल थे

⚖️ अदालत के निर्देश:
- CBI को दो माह में जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करनी होगी।
- सभी अभियुक्तों को गिरफ्तारी वारंट द्वारा तलब किया जाएगा।
- प्रकरण को नियमित फौजदारी मुकदमा माना जाएगा।
- परिवादी जशोदा को केस की पैरवी करने की अनुमति दी गई है।
- गवाहों की सूची और तलबाना दाखिल होने पर कार्रवाई शुरू की जाएगी।
📜 क्या था मामला?
पाली-बाड़मेर सीमा क्षेत्र में रहने वाले कमलेश प्रजापत की वर्ष 2021 में पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई थी। पुलिस ने इसे एक एनकाउंटर बताया, लेकिन परिजनों और स्थानीय लोगों ने इसे पूर्व नियोजित हत्या करार दिया। इसके बाद मामला CBI को ट्रांसफर हुआ।
🚨 राजनीतिक हलचल और जवाबदेही पर असर:
- यह मामला पुलिस व्यवस्था की पारदर्शिता, राजनीतिक हस्तक्षेप, और मानवाधिकार जैसे विषयों को उजागर कर रहा है।
- अगर जांच निष्पक्ष हुई, तो यह राजस्थान की न्यायिक प्रणाली के लिए एक मिसाल बन सकता है।
🔮 आगे क्या?
CBI अब सभी आरोपियों से पूछताछ कर उनकी भूमिका का आंकलन करेगी और 2 महीने के भीतर अदालत में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। यह मामला पुलिस विभाग में जवाबदेही सुनिश्चित करने और राजनीतिक दखल को उजागर करने की दिशा में एक अहम मोड़ हो सकता है।