दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनावों में इस बार राष्ट्रीय स्तर पर सियासी संदेश देने वाला बड़ा उलटफेर देखने को मिला। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने कांग्रेस समर्थित नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) को कड़ी टक्कर देते हुए अध्यक्ष समेत तीन महत्वपूर्ण पदों पर जीत दर्ज की। वहीं एनएसयूआई केवल उपाध्यक्ष पद तक सिमट गई।

चुनाव परिणाम विस्तार से
शुक्रवार को 21 दौर की मतगणना पूरी होने के बाद आधिकारिक नतीजे घोषित किए गए।
- अध्यक्ष पद:
एबीवीपी के आर्यन मान ने 28,821 वोट पाकर भारी जीत दर्ज की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एनएसयूआई की जॉसलिन नंदिता चौधरी को बड़े अंतर से हराया, जिन्हें केवल 12,645 वोट मिले। वहीं वाम समर्थित उम्मीदवार अंजली को 5,385 वोट मिले। - उपाध्यक्ष पद:
इस पद पर एनएसयूआई ने जीत दर्ज की। राहुल झांसला ने 29,339 वोट पाकर एबीवीपी के गोविंद तंवर को 8,700 से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया। यह एनएसयूआई की इस चुनाव में एकमात्र जीत रही। - सचिव पद:
एबीवीपी के कुनाल चौधरी ने 23,779 वोट हासिल कर जीत अपने नाम की। उनके मुकाबले एनएसयूआई के कबीर को 9,525 वोट और आईसा की अभिनंदना को 9,535 वोट मिले। यहां मुकाबला त्रिकोणीय रहा लेकिन एबीवीपी ने बड़ी बढ़त से जीत दर्ज की। - संयुक्त सचिव पद:
एबीवीपी की दीपिका झा ने 21,825 वोट पाकर जीत हासिल की। उनके सामने एनएसयूआई के लवकुश बधाना को 17,380 वोट और वाम गठबंधन के अभिषेक को 8,425 वोट मिले।

छात्रों में “NOTA” का क्रेज
इस बार चुनावों में “नोटा” विकल्प भी काफी लोकप्रिय रहा। सचिव और संयुक्त सचिव पदों पर 7,000 से ज्यादा छात्रों ने NOTA चुना, जो छात्र राजनीति में नई सोच और बदलाव की ओर इशारा करता है।
चुनाव का संदेश
इस बार के चुनावों के नतीजों ने साफ कर दिया कि दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में एबीवीपी ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। वहीं एनएसयूआई को केवल उपाध्यक्ष पद तक सीमित रहना पड़ा। वामपंथी छात्र संगठनों ने भी मुकाबला तो किया लेकिन निर्णायक प्रभाव नहीं डाल पाए।
👉 कुल मिलाकर यह चुनाव नतीजे न केवल दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति का रुझान दिखाते हैं, बल्कि आने वाले समय में राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डाल सकते हैं।