बालोतरा।
जिले के बांगुड़ी के पास मंगलवार को हुए भयंकर सड़क हादसे ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। बाड़मेर की ओर जा रही निजी बस और बालोतरा की तरफ से आ रही कार की आमने-सामने की भिड़ंत में कार सवार एक ही परिवार के तीन लोगों की मौके पर दर्दनाक मौत हो गई। वहीं, बस पलटने से उसमें सवार महिलाओं और बच्चों सहित करीब 25 यात्री घायल हो गए। हादसे ने जहां परिजनों और समाज को गहरे शोक में डाल दिया, वहीं जिला अस्पताल की अव्यवस्थाओं ने स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत भी उजागर कर दी।

पति-पत्नी और पुत्र की मौके पर मौत
हादसे में बालोतरा शहर के वार्ड नंबर 24 निवासी गोविंदराम (72) पुत्र जानीमल सिंधी, उनकी पत्नी पार्वती (65) और पुत्र अरुण कुमार (45) की मौके पर ही मौत हो गई। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और पूरे मोहल्ले में शोक की लहर छा गई।

बस पलटी, 25 यात्री घायल
निजी बस में 30 से अधिक यात्री सवार थे। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए और बस पलट गई। बस में सवार 25 लोग घायल हो गए। ग्रामीणों और राहगीरों की मदद से सभी घायलों को राजकीय जिला नाहटा अस्पताल पहुंचाया गया।
12 गंभीर घायल जोधपुर रेफर
प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप देवात ने बताया कि घायलों में से 12 की हालत गंभीर है, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है। इन्हें जोधपुर रेफर किया गया। चार घायलों को अस्पताल में भर्ती रखा गया है, जबकि 10 को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।

अस्पताल की लापरवाही ने बढ़ाई पीड़ा
हादसे के बाद अस्पताल की अव्यवस्था खुलकर सामने आई।
- मौके पर केवल एक ही एम्बुलेंस उपलब्ध थी। बाकी घायलों को ग्रामीणों और राहगीरों ने निजी वाहनों से अस्पताल पहुंचाया।
- अस्पताल में प्रयाप्त स्टेचर तक उपलब्ध नहीं थे। गंभीर रूप से घायल मरीजों को लोगों ने गोद में उठाकर आपातकालीन वार्ड तक पहुंचाया।
- हादसे के समय इमरजेंसी में सिर्फ एक ही डॉक्टर मौजूद था। बाद में अन्य डॉक्टरों को बुलाया गया, लेकिन हड्डी रोग विशेषज्ञ को पीएमओ ने मौके पर नहीं बुलाया!
- जिला अस्पताल कहलाने वाला यह अस्पताल सुविधाओं के मामले में पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) से भी बदतर साबित हुआ।
अधिकारियों ने लिया जायजा
हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक रमेश, एडीएम भुवनेश्वर सिंह चौहान, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोपालसिंह भाटी, पूर्व विधायक मदन प्रजापत, सीएमएचओ डॉ. वांकाराम चौधरी ने अस्पताल पहुंचकर घायलों से मुलाकात की और चिकित्सकीय व्यवस्था का जायजा लिया।
जनाक्रोश और सवाल
इस दर्दनाक हादसे ने न केवल एक परिवार की जिंदगी उजाड़ दी, बल्कि जिला अस्पताल की लापरवाही और स्वास्थ्य सेवाओं की जर्जर स्थिति पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद अस्पताल की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा और हर बड़े हादसे में मरीजों और परिजनों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।