बालोतरा: उपभोक्ता अधिकारों और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बालोतरा जिले की स्थायी लोक अदालत ने एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने कंपनी को आदेश दिया है कि वह प्रार्थी ललिता देवी को उनके दिवंगत पति का बीमा क्लेम ₹85,56,338 की राशि के साथ 6 प्रतिशत साधारण ब्याज और ₹10,000 हर्जाना अदा करे। ब्याज सहित यह राशि एक करोड़ रुपये से अधिक होगी।

ललिता देवी के पति का निधन कोरोना काल के दौरान हुआ था। उनकी मृत्यु को अब लगभग पांच वर्ष बीत चुके हैं। पति द्वारा लिया गया ऋण सुरक्षा बीमा क्लेम कराने के लिए ललिता देवी ने नियमानुसार बीमा कंपनी से संपर्क किया। मगर एचडीएफसी लाइफ ने बिना ठोस कारण बताए उनका क्लेम अस्वीकार कर दिया।
कंपनी के इस रवैये से आहत होकर ललिता देवी ने न्याय की गुहार लगाते हुए स्थायी लोक अदालत, बालोतरा का दरवाजा खटखटाया।
अदालत का फैसला
लोक अदालत की खंडपीठ, जिसमें पीठासीन अधिकारी संतोष कुमार मित्तल (सेवानिवृत्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश) तथा सदस्य एडवोकेट कैलाशचंद माहेश्वरी शामिल थे, ने दोनों पक्षों की दलीलों और दस्तावेजों की गहन जांच के बाद यह महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया।
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि:
- बीमा कंपनियों का मूल उद्देश्य उपभोक्ताओं को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।
- यदि वैध दावों को मनमाने ढंग से अस्वीकार किया जाता है तो यह सेवा में कमी और उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है।
- उपभोक्ता से प्रीमियम लेना और समय पर क्लेम का निपटान करना बीमा कंपनियों की जिम्मेदारी है।
उपभोक्ताओं के लिए नजीर
यह फैसला सिर्फ ललिता देवी के लिए न्याय की जीत नहीं है, बल्कि भविष्य में बीमा कंपनियों के मनमाने रवैये पर भी कड़ा संदेश है। अदालत ने दोहराया कि उपभोक्ता का विश्वास बनाए रखना बीमा कंपनियों का पहला कर्तव्य है। यदि वे इसमें विफल रहती हैं तो उन्हें कानूनन जवाबदेह ठहराया जाएगा।
व्यापक असर
इस निर्णय से उपभोक्ताओं को यह भरोसा मिला है कि न्यायिक संस्थान उनके अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूती से खड़े हैं। वहीं, बीमा कंपनियों को भी यह समझना होगा कि वे अब उपभोक्ता दावों को मनमाने ढंग से अस्वीकार नहीं कर सकतीं।