बालोतरा टेक्सटाइल उद्योग: प्रदूषण की अनदेखी, लूणी नदी बनी रासायनिक पानी का शिकार

प्रबोधन कमेटी बनी मूकदर्शक, लूणी नदी में बह रहा जहरीला पानी

राजस्थान के बालोतरा क्षेत्र में टेक्सटाइल इकाइयों से निकलने वाले रासायनिक प्रदूषित पानी का गंभीर मामला सामने आया है। सरकार द्वारा टेक्सटाइल उद्योग के सुचारु संचालन के लिए बनाई गई प्रबोधन कमेटी और प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी मौन धारण किए हुए हैं।

CETP ट्रस्ट की भूमिका पर सवाल
CETP ट्रस्ट, जो टेक्सटाइल इकाइयों के कचरे के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है, लूणी नदी में रात के समय रासायनिक प्रदूषित पानी बहा रहा है। इसका प्रमाण वीडियो के रूप में हर दिन सामने आ रहा है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेशों की अवहेलना
NGT ने पहले ही लूणी नदी में किसी भी प्रकार के निस्तारित या उपचारित पानी के डालने पर प्रतिबंध लगा रखा है। बावजूद इसके, CETP ट्रस्ट द्वारा संचालित HRTS प्लांट से रात के अंधेरे में नदी में रासायनिक पानी छोड़ा जा रहा है।

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प्रशासन की निष्क्रियता

  • प्रबोधन कमेटी: स्पष्ट सबूतों के बावजूद CETP ट्रस्ट के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं।
  • प्रदूषण नियंत्रण मंडल: स्थानीय और उच्च अधिकारी भी बने मूकदर्शक।
  • लूणी नदी की स्थिति: नदी रासायनिक प्रदूषित पानी से भर चुकी है, जो पर्यावरण और आसपास के गांवों के लिए खतरा है।

स्थानीय निवासियों में आक्रोश
लोगों का कहना है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन ने आंखें मूंद रखी हैं। यह प्रदूषण न केवल जल जीवन को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि सिंचाई और पीने के पानी के स्रोत भी जहरीले हो रहे हैं।

जरूरत:

  • सख्त कार्रवाई: CETP ट्रस्ट पर कठोर दंड और नदी में पानी छोड़ने पर पूर्ण रोक।
  • निगरानी प्रणाली: लूणी नदी में किसी भी अवैध गतिविधि पर नजर रखने के लिए मजबूत निगरानी।
  • सरकार का हस्तक्षेप: प्रबोधन कमेटी और प्रदूषण नियंत्रण मंडल को जिम्मेदारी के प्रति जागरूक करना।

निष्कर्ष:
लूणी नदी को रासायनिक प्रदूषण से बचाना न केवल बालोतरा, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए आवश्यक है। अब समय आ गया है कि प्रशासन गंभीरता से कदम उठाए और लूणी नदी को प्रदूषण मुक्त बनाए।

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