राजस्थान हाईकोर्ट ने लूणी नदी में रासायनिक प्रदूषण के मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार और संबंधित प्राधिकरणों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मामले की पृष्ठभूमि
जनहित याचिका दायरकर्ता सांवल राम की ओर से अधिवक्ता मनीष पटेल ने कोर्ट को बताया कि बालोतरा में स्थित सीईटीपी (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) से प्रदूषित पानी बिना ट्रीटमेंट के सीधे लूणी नदी में छोड़ा जा रहा है। यह न केवल नदी के पानी को जहरीला बना रहा है, बल्कि आसपास की जमीन को भी बंजर बना रहा है।
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश एम.एम. श्रीवास्तव और न्यायाधीश लक्ष्मण मुन्नुरी की खंडपीठ ने इसे गंभीर मामला बताते हुए राज्य सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, रीको, और सीईटीपी ट्रस्ट के अधिकारियों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि “प्रदूषण नियंत्रण मंडल की सख्त हिदायत के बावजूद, रात के समय रासायनिक पानी नदी में छोड़ा जा रहा है, जो गंभीर पर्यावरणीय खतरा उत्पन्न कर रहा है।”
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की प्रतिक्रिया
हाईकोर्ट के नोटिस के बाद, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सक्रियता दिखाई और जयपुर में सभी सीईटीपी ट्रस्ट संचालकों की एक आपात बैठक आयोजित की। इसमें बालोतरा, पाली, भीलवाड़ा और भिवाड़ी के ट्रस्ट संचालकों ने भाग लिया। बैठक में सदस्य सचिव एन. विजय ने उधोगपतियों के लिए शाही लंच का आयोजन किया ।
हालांकि, बैठक के दौरान “शाही लंच” की व्यवस्था और मीडिया की एंट्री पर प्रतिबंध जैसे निर्णयों ने सवाल खड़े किए हैं।
प्रश्न खड़े करता है यह मामला
- प्रदूषण बोर्ड की गंभीरता: मीडिया की एंट्री पर रोक और शाही लंच की व्यवस्था ने बोर्ड की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह प्रदूषण नियंत्रण के प्रति ईमानदार है या सिर्फ दिखावे के लिए काम कर रहा है?
- नदी का भविष्य: लूणी नदी में लगातार बढ़ता प्रदूषण न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि आसपास के ग्रामीणों और किसानों की आजीविका पर भी संकट खड़ा कर रहा है।
निष्कर्ष
इस मामले में हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार और संबंधित एजेंसियों पर जवाबदेही तय की जाएगी। लेकिन जब तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सीईटीपी ट्रस्ट गंभीरता से कार्रवाई नहीं करते, लूणी नदी और उसके आसपास का क्षेत्र और अधिक प्रदूषित होता रहेगा।
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