मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बाड़मेर दौरा,माइक बन्द होने से खफा हो गए मुख्यमंत्री और
जिला कलेक्टर के सामने फेंक दिया माइक,कलेक्टर ने महिलाओं के पैरों में पड़े माइक को उठाया,वही
बाड़मेर पुलिस अधीक्षक को भी लगाई फटकार, प्रदेश में यह वाकया बना चर्चा का विषय
इसमें कोई दो राय नहीं की 74 वर्ष की उम्र में भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जबर्दस्त मेहनत कर रहे हैं। प्रदेश में पांच माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस सरकार के रिपीट के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। महंगाई राहत शिविर में भाग लेने के लिए सीएम गहलोत प्रत्येक जिले में जा रहे हैं। इसी क्रम में 3 जून को सीएम गहलोत जालोर और बाड़मेर जिले के दौरे पर रहे। बाड़मेर में जब सीएम गहलोत आंगनबाड़ी और ग्रामीण विकास से जुड़ी महिलाओं से संवाद कर रहे थे कि तभी कोडलेस माइक खराब हो गया। माइक के खराब होने पर सीएम को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने माइक को कलेक्टर अरुण पुरोहित पर फेंक दिया। कलेक्टर ने अपने पैरों के निकट से माइक उठाया और सीएम के गुस्से को सहन करते रहे। तभी सीएम गहलोत को महिलाओं के पीछे कुछ पुरुष खड़े नजर आए। इस पर भी सीएम गुस्सा हुए और पूछा कि एसपी कहां हैं? फिर स्वयं ने ही जबा दिया, दोनों एक जैसे ही हैं। सब जानते हैं कि कोडलेश (बिना तार) माइक अक्सर खराब हो जाते हैं। कभी माइक की बैटरी खत्म हो जाती है तो कभी माइक का संपर्क संबंधित उपकरण से नहीं हो पाता। माइक खराब होने पर साउंड वाला तत्काल ही माइक बदल देता है, लेकिन 3 जून को सीएम गहलोत ने साउंड वाले को माइक बदलने का मौका भी नहीं दिया और माइक को कलेक्टर पर फेंक दिया। सीएम ने एसपी आनंद को लेकर भी भरी सभा में जो टिप्पणी की, उचित नहीं थी। आखिर दोनों अधिकारी अखिल भारतीय सेवा के हैं और स्वयं मुख्यमंत्री ने ही दोनों को सीमावर्ती जिला बाड़मेर की जिम्मेदारी दी है। अरुण पुरोहित को तो 10 दिन पहले ही बाड़मेर का कलेक्टर नियुक्ति किया है। सीएम की पसंद के कारण ही पुरोहित की नियुक्ति हुई है। मनोविज्ञान के जानकारों का मानना है कि जब व्यक्ति को अनुकूल परिणाम नहीं मिलते हैं तब वह छोटी छोटी बातों पर गुस्सा प्रकट करता है। इसे व्यक्ति की हताशा का प्रदर्शन ही कहा जाता है। इसके विपरीत जब व्यक्ति को अनुकूल परिणाम मिलते हैं तो वह बड़ी से बड़ी गलती को भी नजरअंदाज करता है। ऐसा व्यक्ति नाराजगी भी विनम्रता से प्रकट करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि सीएम गहलोत को सरकार रिपीट होने के अपेक्षित परिणाम नजर नहीं आ रहे हैं। इसीलिए उन्हें माइक खराब होने जैसी छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आ रहा है। यदि सरकार रिपीट होने के सकारात्मक परिणाम होते तो माइक खराब होने जैसी बात पर इतना गुस्सा नहीं आता। यह तो अरुण पुरोहित और दिग्गज आनंद को कलेक्टर और एसपी गिरी करनी है, इसलिए मुख्यमंत्री का गुस्सा सहन करना पड़ रहा है। आरएएस से पदोन्नत होकर अरुण पुरोहित तो पहली बार किसी जिले के कलेक्टर बने हैं। एसपी दिग्गज आनंद तो बेवजह चपेट में आ गए। सब जानते हैं कि कांग्रेस में चल रही खींचतान से भी सीएम गहलोत इन दिनों मानसिक तनाव में है। कांग्रेस हाईकमान का दबाव है कि विधानसभा चुनाव पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के साथ मिलकर लड़ा जाए, जबकि सीएम गहलोत अपने प्रतिद्वंदी पायलट की शक्ल भी देखना पसंद नहीं करते हैं। पायलट ने तो गहलोत सरकार के खिलाफ जनसंपर्क करने की भी घोषणा कर रखी है। हो सकता है कि जैसे जैसे चुनाव नजदीक आएंगे वैसे वैसे मुख्यमंत्री का गुस्सा और तीखा होगा। ऐसे में आने वाले दिनों में अधिकारियों की खैर नहीं है।
अजमेर कलेक्टर का तबादला:
सीएम गहलोत ने पांच मई को अजमेर में भी महंगाई राहत शिविर का जायजा लिया था, तब भी लाभार्थियों से संवाद के दौरान माइक खराब हो गया था, हालांकि तब सीएम ने माइक तो नहीं फेंका, लेकिन सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जरूर जताई। इस घटना के एक सप्ताह बाद ही अजमेर के जिला कलेक्टर अंशदीप का तबादला हो गया। अब माना जा रहा है कि अंशदीप के तबादले का कारण भी माइक खराब होना ही था। अरुण पुरोहित के तबादले की उम्मीद कम ही है, क्योंकि माइक फेंकने के बाद गुस्सा निकल गया। वैसे भी पुरोहित को कलेक्टर बने दस दिन तो हुए ही हैं। जिला कलेक्टरों को अब माइक के पुख्ता इंतजाम करने होंगे।