लाइव

जैसलमेर बस हादसे में 20 लोगों की मौत की पुष्टि; सवाल उठे — क्या सरकार की संवेदनशीलता अब ‘वीआईपी लिमिटेड’ हो गई है?

Media Desk
Posts
Auto Updates

राजस्थान के जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर सोमवार दोपहर हुए बस हादसे में अब तक 20 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। जबकि कई यात्री अब भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक, मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है।

यह हादसा तब हुआ जब चलती एसी स्लीपर बस में अचानक आग लग गई। आग इतनी भयानक थी कि यात्रियों को अपनी जान बचाने के लिए चलती बस से कूदना पड़ा। 50 से अधिक सवारियों में से कई 70% तक झुलस चुके हैं।

Balotra News Photo

🚨 घायल अब भी बिना एयरलिफ्ट के — 5 घंटे की सड़क यात्रा पर मजबूर

हादसे के बाद झुलसे यात्रियों को पहले जैसलमेर के जवाहिर अस्पताल लाया गया, लेकिन वहां इलाज की सीमित सुविधाएं होने के कारण सभी को जोधपुर रेफर कर दिया गया।
जोधपुर तक का रास्ता करीब 5 घंटे का है, और कई गंभीर रूप से झुलसे मरीज इस सफर में दम तोड़ रहे हैं। कई यात्री टूरिस्ट बताए जा रहे है

- Advertisement -
Ad imageAd image

स्थानीय लोगों और परिजनों का सवाल है —

“जब वीआईपी बीमार होते हैं, तो 15 मिनट में हेलीकॉप्टर तैयार हो जाता है…
फिर आज आम जनता के लिए एयरलिफ्ट क्यों नहीं किया गया?”


🚁 सीएम भजनलाल का जायजा, पर उठे कई सवाल

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने आज सेना अस्पताल जैसलमेर पहुंचकर हादसे का जायजा लिया और घायलों से मुलाकात की।
लेकिन लोगों के बीच नाराज़गी इस बात को लेकर है कि सरकार की प्रतिक्रिया धीमी और असंवेदनशील रही।

जनता के बीच यह चर्चा है कि —

“सीएम भजनलाल जब से पद पर आए हैं, तब से हर यात्रा हेलीकॉप्टर या प्राइवेट प्लेन से ही करते हैं।
कल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की पत्नी की तबीयत बिगड़ी तो 5 मिनट में हेलीकॉप्टर तैयार था…
लेकिन आज आम लोग 50% झुलसे शरीर के साथ 5 घंटे का सफर कर रहे हैं।”

Balotra News Photo

🏥 जैसलमेर की सुविधाओं पर भी सवाल

स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से सवाल किया कि जैसलमेर में अरबों की जमीनें सोलर कंपनियों को बेच दी गईं, लेकिन एक आधुनिक अस्पताल तक नहीं बनाया गया।
ऐसे में हर बड़ी दुर्घटना के बाद मरीजों को जोधपुर भेजना पड़ता है, जिससे अधिकांश गंभीर मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।


यह हादसा सिर्फ लापरवाही नहीं — यह एक चेतावनी है।
राज्य की चिकित्सा व्यवस्था और प्रशासनिक संवेदनशीलता दोनों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

📍 स्थान: थईयात गांव, जैसलमेर-जोधपुर हाईवे
समय: सोमवार दोपहर करीब 3:30 बजे
👥 अब तक मौतें: 20 की पुष्टि, कई गंभीर
🚑 घायल: 30 से अधिक, सभी जोधपुर रेफर

मंगलवार दोपहर जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर थईयात गांव के पास एक चलती एसी स्लीपर बस में अचानक आग लग गई। कुछ ही मिनटों में आग ने पूरे वाहन को अपनी चपेट में ले लिया।

Balotra News Photo

हादसे के दौरान बस में कुल 57 यात्री सवार थे। आग लगते ही यात्रियों में चीख-पुकार मच गई। कई लोगों ने चलती बस से कूदकर अपनी जान बचाने की कोशिश की, लेकिन कुछ यात्री आग की लपटों में फंस गए।

- Advertisement -
Ad imageAd image

घटना में तीन बच्चों, चार महिलाओं समेत 16 लोग गंभीर रूप से झुलस गए, जिन्हें तुरंत तीन एंबुलेंस की मदद से जैसलमेर के जवाहिर अस्पताल ले जाया गया। वहां से उनकी हालत नाजुक होने पर जोधपुर रेफर कर दिया गया।

नगर परिषद के असिस्टेंट फायर ऑफिसर कृष्णपाल सिंह राठौड़ के मुताबिक,

“हादसे में करीब 10 से 12 लोगों के जलने से मौत होने की आशंका है। आग लगने का कारण फिलहाल शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है।”

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग लगने के बाद बस से गाढ़ा धुआं और ऊंची लपटें आसमान तक उठती दिखाई दीं। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस और फायर ब्रिगेड को सूचना दी। फायर टीम ने मौके पर पहुंचकर काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक बस पूरी तरह जल चुकी थी।

घटना के बाद हाईवे पर लंबा जाम लग गया और राहत-बचाव कार्य जारी है। प्रशासन ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं।

जनता जले तो सफर सड़क से… नेता बीमार हों तो हेलीकॉप्टर हवा में!

जैसलमेर — मंगलवार दोपहर जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर थईयात गांव के पास एक चलती एसी-स्लीपर बस अचानक आग की चपेट में आ गई और चंद मिनटों में आग ने बस को राख कर दिया। बस में सवार कुल 57 यात्रियों में से अब तक 20 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और कई गंभीर रूप से झुलसे हुए हैं; घायलों को प्राथमिक इलाज के बाद जोधपुर रेफर किया गया है।

हादसा कैसे हुआ — फ़िलहाल की जानकारी

पुलिस के अनुसार बस ज़्यादातर लोग लेकर जौधपुर की ओर जा रही थी जब दोपहर करीब 3:30 बजे बस के पिछले हिस्से से धुआँ निकलना शुरू हुआ। ड्राइवर ने रास्ते पर बस रोकी, लेकिन कुछ ही पलों में आग इतनी तेज़ फैल गई कि कई यात्रियों के लिए बाहर निकलना नामुमकिन हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कई लोग बचने के लिए चलती बस से कूद पड़े। फायर ब्रिगेड और स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और राहत-बचाव किया।

चोटों और मौतों का हाल

अस्थायी रिपोर्टों के मुताबिक लगभग 30 से अधिक लोग झुलसे बताए जा रहे हैं—कई का शरीर आधे-पक देकर 70% तक जल चुका है। प्रारंभिक चिकित्सकीय रूप से 16 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है; मृतकों की संख्या फिलहाल 20 बताई जा रही है और यह संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। गंभीर घायलों को पहले जैसलमेर के जवाहर अस्पताल में लाया गया और फिर जोधपुर रेफर किया गया।

कारण क्या माना जा रहा है?

प्रारंभिक जांच में बस में आग लगने का कारण शॉर्ट-सर्किट बताया जा रहा है; कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि आग इतनी तेज़ थी कि बस के अंदर सवारों के पास निकलने का समय ही नहीं बचा। घटनास्थल पर बस की बॉडी इतनी गर्म थी कि कई घंटों तक शव निकालने में भी मुश्किल हुई। अधिकारी घटनास्थल की छानबीन कर रहे हैं और बस की लोको-रिकॉर्डिंग व तकनीकी जांच शुरू कर दी गई है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया और सवाल

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सेना अस्पताल जाकर हाल-ओ-हाल लिया और राज्य सरकार ने राहत और मुआवजे का आश्वासन दिया है। साथ ही मुख्यमंत्री ने प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।

लेकिन हादसे के बाद स्थानीय लोग और परिजन गुस्से में हैं और प्रशासन पर कई सवाल उठा रहे हैं — खासकर एयरलिफ्ट क्यों नहीं किया गया, और जैसलमेर में गंभीर चोटों का तत्काल उपचार करने वाली बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव। स्थानीय लोग याद दिला रहे हैं कि जब वीआईपी अस्पताल/यात्रा संबंधी किसी स्थिति में मुश्किल में होते हैं तो हेलीकॉपर मिनटों में तैनात हो जाते हैं, जबकि आम जनता को 4-5 घंटे की सड़क यात्रा पर जोधपुर जैसे बड़े केन्द्र तक ले जाया जा रहा है — और रास्ते में कई गंभीर मरीज दम तोड़ देते हैं। परिजन और नागरिक यही पूछ रहे हैं कि संवेदनशीलता और प्राथमिकताएँ किस आधार पर तय की जा रही हैं। (स्थानीय प्रतिक्रियाएँ और परिजनों की बातें)।

जैसलमेर-जैसी दूरी और स्वास्थ्य अवसंरचना का कम्पलेंट

जैसलमेर से जोधपुर का लगभग 4–5 घंटे का सफर है। दुर्घटना जैसी आपात स्थितियों में स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल की सीमित क्षमताएँ सामने आ जाती हैं—वही सवाल उठता है कि बड़े पैमाने पर आबादी वाले क्षेत्रों में आधुनिक आपातकालीन सुविधाएँ, एम्बुलेंस-नेटवर्क और एयर-मेडिकल सर्विसेज़ क्यों नहीं स्थापित किए गए। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जैसलमेर में उद्योगों/भूमि के बड़े सौदों के बाद भी आधारभूत स्वास्थ्य संरचनाओं में निवेश नहीं हुआ।

क्या होगी जांच और राहत नीति?

प्रशासन ने हादसे की संपूर्ण जांच के आदेश दे दिए हैं। फॉरेंसिक टीम, यातायात पुलिस और फायर विभाग मिलकर घटना के तकनीकी कारणों की जांच कर रहे हैं। राज्य सरकार ने हर मृतक के परिजनों को मुआवजा और घायलों के इलाज के लिए मदद का आश्वासन दिया है—विस्तृत आदेश और मुआवजे की रकम अभी शासन स्तर पर तय की जाएगी।


निष्कर्ष — सवाल वहीं बाकी हैं

यह दर्दनाक घटना न केवल एक यात्री-बस हादसा है, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर एक बड़ा राजनीतिक-नैतिक सवाल भी खड़ा करती है। जब संकट की घड़ी में निर्णय लेने और संसाधन तैनात करने की बात आती है, तो क्या संवेदनशीलता “वीआईपी-लिमिटेड” हो गई है? परिजन और स्थानीय लोग आज यही जवाब चाहते हैं—तेज़ और समुचित बचाव, बेहतर स्थानीय चिकित्सा सुविधा और ऐसी नीतियाँ जो आम जनता की ज़िंदगियों को भी वही प्राथमिकता दें जो कुछ खासों को मिलती दिखती है।


(सूत्र: स्थानीय पुलिस, फायर ब्रिगेड और समाचार एजेंसियों की स्थानीय कवरेज आधारित रिपोर्टिंग)।

Share This Article
By Media Desk Media Team
Follow:
Balotra News Media Team