बालोतरा-जोधपुर: राजस्थान के बालोतरा और जोधपुर जिले की सीमा पर स्थित धवा डोली वन्यजीव क्षेत्र इन दिनों कुत्तों के आतंक से त्रस्त है। हर 10 में से 9 हिरण कुत्तों के हमलों का शिकार हो रहे हैं। चिंताजनक बात यह है कि राजस्थान का राज्य पशु (वन्यजीव) चिंकारा भी इन हमलों से अछूता नहीं है। यदि यह सिलसिला जारी रहा, तो धवा डोली वन्यजीव क्षेत्र से काला हिरण, चिंकारा सहित कई प्रजातियां विलुप्त हो जायेगी ।
कुत्तों की बढ़ती संख्या:
इस समस्या का मुख्य कारण कुत्तों की बढ़ती संख्या है। वन्यजीव क्षेत्र में आवारा कुत्तों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। किसानों द्वारा की गई तारबंदी भी हिरणों के लिए खतरा बन गई है। कई बार हिरण इन तारों में फंस जाते हैं और आसानी से कुत्तों का शिकार हो जाते हैं।
वन विभाग की लापरवाही:
इस गंभीर मामले में वन विभाग की लापरवाही भी चिंता का विषय है। विभाग द्वारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार वन विभाग को इस समस्या से अवगत कराया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
क्या होगा समाधान?
इस समस्या का समाधान कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने में निहित है। वन विभाग को आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें दूसरे स्थलों में भेजने का अभियान चलाना चाहिए। कुत्तो की नसबंधी करना भी आवश्यक है साथ ही, किसानों को तारबंदी करते समय सावधानी बरतने की सलाह दी जानी चाहिए।
यह भी आवश्यक है कि वन विभाग स्थानीय लोगों को जागरूक करे और उन्हें वन्यजीवों के संरक्षण में सहयोग करने के लिए प्रेरित करे। यदि सभी मिलकर प्रयास करें तो धवा डोली वन्यजीव क्षेत्र को कुत्तों के आतंक से मुक्त किया जा सकता है और वन्यजीवों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
किसानों द्वारा तारबंधी के कारण हिरण तारों में फंस जाने से यह समस्या और भी गंभीर हो रही है। कुत्तों के बढ़ते आक्रमणों के चलते, हिरण तारों का इस्तेमाल वन्यजीवों के लिए जोखिमपूर्ण हो गया है।
इस मामले में, वन विभाग को कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। साथ ही, किसानों को भी संवेदनशीलता से हिरण तारों का इस्तेमाल करने पर सावधान रहने की आवश्यकता है।
इस संकट का समाधान करने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग करते हुए, एक सामाजिक जागरूकता अभियान भी आयोजित किया जा सकता है ताकि लोगों में वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़े और कुत्तों के खिलाफ कार्रवाई को बढ़ावा मिले।
अंत में, यह समय है कि हम सभी मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढें और वन्यजीवों को सुरक्षित रखने के लिए सक्रिय पहल करें।