समदड़ी, बालोतरा: राजस्थान की मरूगंगा कहलाई जाने वाली लूणी नदी आज अपने अस्तित्व के सबसे बड़े संकट का सामना कर रही है। पाली जिले की फैक्ट्रियों द्वारा छोड़ा जा रहा है केमिकल युक्त दूषित पानी न । समदड़ी तक इस पानी का पहुँच जाना न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि स्थानीय किसानों और जनसामान्य के स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा है।
स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी
स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते इस गंभीर समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यही स्थिति बनी रही तो लूणी नदी मात्र एक रासायनिक नाले में परिवर्तित होकर रह जाएगी। इसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र के किसानों की कृषि योग्य भूमि बंजर हो सकती है और उनकी आजीविका पर गहरा संकट आ सकता है।
स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव
दूषित जल का प्रभाव स्थानीय जनजीवन पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। हर घर में चर्म रोग और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ फैलने का खतरा मंडरा रहा है। दूषित पानी का उपयोग करने से पशुधन भी प्रभावित हो रहा है, जिससे किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
जल संकट और खेती पर प्रभाव
लूणी नदी पर आश्रित हजारों किसान पहले ही इस जल संकट से जूझ रहे हैं। केमिकल युक्त पानी के कारण सिंचाई के लिए नदी का पानी अनुपयोगी हो गया है। मिट्टी की उर्वरता भी घट रही है, जिससे फसलों की उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
जरूरत है त्वरित कार्रवाई की
इस गंभीर स्थिति को सुधारने के लिए त्वरित और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।
- नदी में प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों और सीईटीपी पर कार्रवाई
- जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी
जनप्रतिनिधियों को इस मुद्दे को प्राथमिकता देकर समाधान निकालने के लिए प्रयास करना चाहिए। - जन जागरूकता अभियान
लोगों को इस संकट के प्रति जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
लूणी बचाओ आंदोलन की आवश्यकता
लूणी नदी को बचाने के लिए सामूहिक जनांदोलन की जरूरत है। पर्यावरणविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और आम जनता को एकजुट होकर अपनी मरूगंगा को बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में यह नदी रासायनिक नाले में बदल जाएगी और इसकी कीमत यहां की आने वाली पीढ़ियों को चुकानी पड़ेगी।
पर्यावरण संरक्षण जागरूकता बैठक आयोजित: लूणी नदी में रासायनिक प्रदूषण रोकने की मांग
बालोतरा: प्रदूषण निवारण एवं पर्यावरण संरक्षण समिति बालोतरा द्वारा समदड़ी क्षेत्र के रामपुरा गांव में रामदेव जी मंदिर के प्रांगण में एक पर्यावरण संरक्षण जागरूकता बैठक का आयोजन किया गया। बैठक का उद्देश्य ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना और मरूगंगा लूणी नदी को रासायनिक प्रदूषण से बचाने के उपायों पर चर्चा करना था।
समिति अध्यक्ष ने जताई चिंता
समिति के अध्यक्ष तुलसाराम चौधरी ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि पाली जिले की टेक्सटाइल इकाइयों से बांडी नदी में छोड़ा जा रहा रासायनिक दूषित पानी नेहड़ा बांध के माध्यम से लूणी नदी में पहुंच रहा है। यह प्रदूषण रामपुरा जैसे गांवों में पर्यावरण, खेती, और जल स्रोतों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लें और इस संकट के स्थायी समाधान के लिए संगठित होकर प्रयास करें।
किसानों का आक्रोश
बैठक में उपस्थित किसानों ने बताया कि रासायनिक प्रदूषित पानी के कारण खेती बर्बाद हो गई है, जिससे किसान बेरोजगार हो रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रदूषण की इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
सद्बुद्धि यज्ञ का आयोजन
बैठक के दौरान लूणी नदी में बह रहे रासायनिक प्रदूषण को रोकने के लिए सद्बुद्धि यज्ञ का आयोजन किया गया। यज्ञ में किसानों ने प्रदूषण समाप्त करने और नदी को पुनः शुद्ध बनाने की प्रार्थना की।
टेक्सटाइल उद्योगों पर लगाए आरोप
किसानों और समिति के पदाधिकारियों ने टेक्सटाइल उद्यमियों द्वारा झूठे मुकदमे दर्ज कराने की निंदा की। उन्होंने कहा कि किसानों के हितों और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को रोकने के लिए इस तरह की रणनीति अपनाई जा रही है।
भारतीय किसान संघ ने उठाई स्थायी समाधान की मांग
भारतीय किसान संघ के जिला प्रवक्ता आशाराम चौधरी ने रासायनिक प्रदूषण की समस्या को स्थायी रूप से हल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के कारण खेती और पर्यावरण दोनों नष्ट हो रहे हैं, और यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो किसान पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे।
उपस्थित गणमान्य और किसान
बैठक में समिति के सदस्य मांगीलाल चौधरी, रानाराम चौधरी, केवल राम चौधरी, मंगलाराम चौधरी, छोठा राम भील, गणेशाराम चौधरी, सोनाराम चौधरी, करणा राम चौधरी, कानाराम साईं (तिलवाड़ा), चेनाराम हुड्डा (खेड़) सहित सैकड़ों किसान मौजूद रहे।
बैठक के अंत में किसानों ने एकजुट होकर यह संकल्प लिया कि वे लूणी नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे तुरंत हस्तक्षेप कर इस समस्या का समाधान करें, अन्यथा किसानों और पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई असंभव होगी।