बालोतरा: आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के इस दौर में भी बालोतरा के राजकीय नाहटा जिला अस्पताल की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। यहां तैनात नेत्र विशेषज्ञ को बिना मूलभूत उपकरणों के ही मरीजों की जांच करनी पड़ रही है। स्थिति इतनी गंभीर है कि डॉक्टर को आंखों की जांच करने के लिए मोबाइल फोन की टॉर्च का सहारा लेना पड़ रहा है।
वायु प्रदूषण और फैक्ट्रियों से उड़ती कोयली बढ़ा रही आंखों की बीमारियां
बालोतरा में बढ़ता वायुप्रदूषण और फैक्ट्रियों से उड़ने वाली कोयली(कोयले का छोटा कण) राहगीरों और वाहन चालकों के लिए गंभीर समस्या बन गई है। हवा में मौजूद ये कण आंखों में गिरने से जलन, एलर्जी, संक्रमण और अन्य नेत्र रोगों का कारण बन रहे हैं। इस वजह से पीड़ित मरीज नेत्र जांच के लिए राजकीय नाहटा जिला अस्पताल पहुचते हैं।

स्थानीय निवासी उत्तम कुमार ने बताया, “हर दिन बाइक चलाते समय आंखों में धूल और कोयली चली जाती है। आंखों में जलन होती है, लेकिन अस्पताल में जांच कराने जाओ तो वहां सही उपकरण ही नहीं हैं।”
बिना उपकरणों के इलाज, मरीजों की जान से खिलवाड़
सरकारी अस्पतालों में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। यहां मौजूद नेत्र विशेषज्ञ रविन्द्र सिंह देवड़ा के पास आवश्यक उपकरणों की भारी कमी है। बैटरी टॉर्च , ऑटो-रेफ्रेक्टोमीटर और अप्थाल्मोस्कोप जैसे महत्वपूर्ण उपकरण अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं, जिससे डॉक्टर को मजबूरी में मोबाइल की टॉर्च का उपयोग करना पड़ रहा है।
मरीजों को हो रही भारी परेशानी
इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को इस स्थिति से निराशा हाथ लग रही है। सही उपकरणों के अभाव में जांच सटीक तरीके से नहीं हो पा रही है, जिससे गलत नतीजे निकलने और गलत इलाज होने की संभावना बढ़ जाती है।
एक मरीज, मुकेश कुमार (23) ने बताया, “मैं अपनी आंखों की जांच कराने आया था, लेकिन डॉक्टर मोबाइल की टॉर्च से ही देख रहे थे। अगर सही उपकरण ही नहीं होंगे, तो हमारी बीमारी का सही पता कैसे चलेगा?”
अस्पताल प्रशासन की अनदेखी, मरीजों की जान जोखिम में
स्वास्थ्य विभाग राजस्थान और अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी की लापरवाही के कारण मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है।