लोक विरासत – 20 वे होली फाग महोत्सव के भव्य रंगारंग समापन समारोह में लोक कला और संस्कृति की सतरंगी छटा से अभिभूत हुए हजारों कला प्रेमी
डेजर्ट ट्रेडिशनल आर्ट एंड यूथ सेंटर एवं माली (सैनी) संस्थान के सयुंक्त तत्वाधान में आयोजित लोक विरासत -20 वे होली फाग महोत्सव के भव्य रंगारंग समापन समारोह में लोक कला और संस्कृति की सतरंगी छटा से अभिभूत होकर ऐसे झूमे कि मानो लोक कला और संस्कृति के आनंद और उल्लास का इंद्रधनुषी माहौल धरती पर उतर आया हो।
संस्था के अध्यक्ष जीवाराम पंवार ने बताया कि राजस्थान की विलुप्त हो रही लोक कला और संस्कृति के उत्थान और विकास को समर्पित इस आयोजन के समापन समारोह का शुभारंभ गुरुवर श्री नरसिंगदास महाराज,समदड़ी, विवेक व्यास,उपखंड अधिकारी,बालोतरा, महेश बी चौहान,पूर्व सभापति,नगर परिषद,बालोतरा,पूनमचंद सुथार,प्रांतीय मंत्री,संस्कार भारती, वासुदेव गहलोत, धनराज टाक,मोहनलाल चौहान,सांवलराम चौहान,गणपत कच्छवाह ने जन जन के आराध्य गुरुदेव श्री लिखमीदास महाराज के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर और भीमाराम परिहार एंड पार्टी द्वारा गणेश वन्दना के साथ किया गया।
संस्था के सचिव महेंद्र सुन्देशा ने बताया कि आयोजन में संस्था के कला साधकों द्वारा सतरंगी पारंपरिक वेशभूषा तथा डांडियों की खनक व घुंघरुओं की झंकार के साथ चेतन कच्छ्वाह और गोविंद चौहान के नेतृत्व में डांडिया गेर,रण भूमि की याद को ताजा करते हुए सफेद आंगी,लाल बागा और राजस्थान के शौर्य एवं वीरता का प्रतीक केसरिया साफा से सजे धजे गेरियों द्वारा जनक गहलोत और सीताराम चौहान के मार्गदर्शन में आंगी – बांगी गेर,हाथों में रंग बिरंगी छतरी लिए,लय और ताल की उत्कृष्ट पराकाष्ठा से परिपूर्ण मिठालाल पंवार और गौतम सोलंकी के संयोजन में छतरी गेर,खनखनाती तलवारों और सदे कदमों पर थिरकते हुए युवाओं के द्वारा सीताराम गहलोत व विकास परिहार के निर्देशन में बालोतरा में पहली बार तलवार गेर की ऐतिहासिक,शानदार और अद्भुत प्रस्तुति से सबको रोमांचित कर दिया।
संस्था उपाध्यक्ष धुडाराम टाक ने बताया कि करीब 500 से अधिक राजस्थानी एलबम में अपनी कला का लोहा मनवा चुके श्रवण गहलोत द्वारा मारवाड़ी लोक गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति और माली समाज, धुंधाडा की डांडिया गेर की फाल्गुनी मस्ती देखते ही बन रही थी।
संस्था के कोषाध्यक्ष मंगलाराम चौहान ने बताया कि संपूर्ण समारोह में राष्ट्रीय भजन व लोक गायक श्याम पालीवाल,जबराराम पंवार,राजेश माली,छगन माली,रामू माली द्वारा फाल्गुनी लोक गीत जीरो जीव रो वैरी…,पाबू परणीजे…,अढ़ाई वर्ष रा बालम जी…, को सुर ताल में ऐसा पिरोया कि अपार जन समूह अपने आप को फाल्गुनी मस्ती के साथ झूमने पर रोक नहीं सका।
पांच दिवसीय लोक कला और संस्कृति के संगम में संस्था के अशोक कच्छवाह,भीमाराम चौहान,ओमप्रकाश चौहान,प्रेम टाक,मदन सुन्देशा,रामस्वरूप चौहान,मीठालाल कच्छवाह,सुरेश चौहान,किशन गहलोत,भरत गहलोत, राकेश पंवार,पुखराज पंवार,महेंद्र बी सुन्देशा, सुरेश गहलोत,पुखराज चौहान,गौतम गहलोत, भावेश पंवार,दिनेश सुन्देशा,श्रवण पंवार तथा संस्था के समस्त कला साधकों के अथक प्रयास,लगन और मेहनत के परिणाम स्वरूप ही शानदार सफल,अद्भुत और अद्वितीय आयोजन हो सका।