राजस्थान सरकार का महत्वाकांक्षी ‘हरियालो राजस्थान’ अभियान, जिसका लक्ष्य राज्य को हरा-भरा बनाना था, विवादों में घिर गया है। करोड़ों रुपये के खर्च के बावजूद, यह अभियान अपनी मंजिल से दूर नजर आ रहा है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों यह अभियान फ्लॉप होने की कगार पर है।
मुख्य बिंदु:
- ऐप की नाकामी: अभियान की सफलता का आधार माना जा रहा ऐप अब तक प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर उपलब्ध नहीं हो पाया है। निजी कंपनी द्वारा किए गए तकनीकी त्रुटियों और देरी के कारण यह अभियान बाधित हो रहा है।
- डेटा सुरक्षा का खतरा: ऐप के माध्यम से एकत्र किए जा रहे व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। एक निजी कंपनी के पास इतने बड़े पैमाने पर डेटा होने से साइबर हमलों का खतरा बढ़ जाता है।
- अन्य त्रुटियां: वन विभाग की नर्सरियों के बारे में जानकारी का अभाव, आमजन की भागीदारी में कमी और सरकारी कार्यक्रमों में सिर्फ दिखावा होने के आरोप भी इस अभियान की नाकामी के कारण हैं।
- राज्य सरकार की भूमिका: सरकार की ओर से इस अभियान को कार्यान्वित करने में लापरवाही और योजनाबद्धता का अभाव साफ तौर पर दिखाई दे रहा है।
राजस्थान सरकार द्वारा शुरू किया गया “हरियालो राजस्थान” अभियान, जो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में “एक पेड़ माँ के नाम” पहल के तहत चलाया जा रहा है, अपने लक्ष्यों को पूरा करने में नाकामयाब होता दिखाई दे रहा है। इस अभियान का उद्देश्य पूरे प्रदेश में 7 करोड़ पौधे लगाकर हरियाली को बढ़ावा देना था। सरकार ने इस योजना के लिए बड़े पैमाने पर धनराशि आवंटित की थी, और आम जनता से एक पौधा लगाने की अपील की गई थी।
आईटी विभाग की लापरवाही और असफलता
इस अभियान की सफलता के लिए वन विभाग ने एक मोबाइल ऐप विकसित करने की योजना बनाई थी, जिससे आम जनता को पौधे किफायती दरों पर उपलब्ध कराए जा सकें। लेकिन, ऐप के विकास और लॉन्चिंग में भारी गड़बड़ी देखने को मिल रही है। आईटी और सूचना विभाग की लापरवाही के चलते, इस काम को एक निजी और अप्रशिक्षित कंपनी को सौंप दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप अब तक यह ऐप Google Play Store और iOS पर लॉन्च नहीं हो पाया है।
विशेषज्ञों की राय:
- तकनीकी विशेषज्ञ: “ऐप की नाकामी एक बड़ी चूक है। इस तरह के बड़े अभियान के लिए एक मजबूत तकनीकी ढांचा होना जरूरी है।”
- पर्यावरणविद: “पौधरोपण के साथ-साथ उनकी देखभाल भी जरूरी है। अगर पौधे नहीं पनपे तो यह अभियान बेकार हो जाएगा।”
- साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ: “व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को लेकर सरकार को गंभीर होना चाहिए। एक निजी कंपनी को इतना संवेदनशील डेटा देना खतरनाक हो सकता है।”
गूगल पॉलिसी और देरी से प्रभावित
कंपनी के अनुसार, उन्होंने ऐप को Google Play Store पर पब्लिश करने का प्रयास किया, लेकिन गूगल की पॉलिसी के कारण यह दो बार रिजेक्ट हो गया। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने Google Play Console का अकाउंट कब बनाया, तो पता चला कि यह अकाउंट महज डेढ़ महीने पहले ही बनाया गया था, जिसके कारण ऐप के पब्लिश होने में देरी हो रही है। इसके अलावा, iOS ऐप के विकास में भी काफी समय लगेगा, जिससे यह योजना समय पर पूरी नहीं हो पा रही है।
साइबर सुरक्षा पर सवाल
इसके अलावा, ऐप को APK फाइल के जरिए इंस्टॉल करवाया जा रहा है, जिससे डेटा सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। एक निजी कंपनी के पास पूरे प्रदेश के लोगों का डेटा और मोबाइल फोन का एक्सेस मिल रहा है, जो कि साइबर सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। हाल ही में APK फाइल्स से जुड़े साइबर फ्रॉड के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे जनता को APK फाइल्स डाउनलोड करने से मना किया जा रहा है।
वर्तमान में, इस ऐप को APK फ़ाइल के माध्यम से डाउनलोड कराया जा रहा है, जो कि साइबर सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद खतरनाक है। निजी कंपनी को इस ऐप के जरिए पूरे प्रदेश के लोगों का डेटा और उनके मोबाइल फोन तक पहुंच मिल रही है। बालोतरा के एपीआरओ (जनसंपर्क अधिकारी) ने मीडिया के लिए बने ग्रुप में इस ऐप की APK फ़ाइल भी भेजी थी, जो कि साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों के बीच एक गंभीर चिंता का विषय है।
एक तरफ APK फाइल से बड़े स्तर पर साइबर फ्रॉड चल रहा है मोबाइल फोन से बैंकिंग सेवाओं के ऐप को हैक कर करोड़ों रुपए का फ्रॉड हो चुके और ये मामले एक दो महीने ने सबसे अधिक बढ़े हैं राजस्थान पुलिस अपील अभी कर रही है की APK इंस्टॉल नहीं करें इस तरीके की APK फाइल डाउनलोड करने पर मोबाइल फ़ोन हैक भी हो सकते है इसकी जवाबदेही कौन लेगा ?
सरकारी योजनाओं में असफलता
इस अभियान के तहत सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए हैं, जो कि जनता के टैक्स से आए हैं। लेकिन, इस योजना का सही तरीके से कार्यान्वयन न होने से यह खर्च व्यर्थ जाता दिख रहा है। सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर पौधे लगाने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन आम जनता तक यह योजना नहीं पहुंच पाई है।
इस योजना में समय महत्वपूर्ण होता है पौधों के पनपने के लिए मानसून वर्षा ऋतु सबसे बढ़िया मौसम होता है
वन विभाग की नर्सरियों के स्थान की जानकारी न मिलने के कारण, आम जनता को पौधे नहीं मिल पा रहे हैं। सरकारी कार्यक्रमों में केवल कुछ सौ पौधे लगाकर वाहवाही बटोरी जा रही है, जबकि आमजन तक इस योजना का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है।
निष्कर्ष
हरियालो राजस्थान अभियान, जिसका उद्देश्य प्रदेश को हरा-भरा बनाना था, फिलहाल सरकारी कार्यक्रमों तक ही सीमित रह गया है। सरकार की लापरवाही, आईटी विभाग की असफलता और साइबर सुरक्षा के खतरे इस योजना को फ्लॉप साबित कर रहे हैं। जनता के पैसे से करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद, यह अभियान अपने उद्देश्य को पूरा करने में नाकामयाब होता दिखाई दे रहा है ।
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