मरु महोत्सव की तर्ज पर बालोतरा भी मनाए अपना भव्य उत्सव
बालोतरा। मरु भूमि की पहचान सिर्फ थार के रेगिस्तान और ऐतिहासिक धरोहरों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यहां की समृद्ध लोक कला, संस्कृति और परंपराओं को भी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलनी चाहिए। जैसलमेर/बाड़मेर के मरु महोत्सव की तरह बालोतरा भी अपना एक विशेष महोत्सव मना सकता है, जिससे यहां की सांस्कृतिक विरासत को संजोने और प्रचारित करने का अवसर मिलेगा। यदि प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस दिशा में पहल करें तो “मालाणी महोत्सव” की शुरुआत एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकती है।
“मालाणी महोत्सव” से होगी बालोतरा की ब्रांडिंग
बालोतरा और मालाणी क्षेत्र का समृद्ध इतिहास, यहां की लोक परंपराएं, कला, संगीत, नृत्य और खानपान अनूठा है। यदि इसे एक वार्षिक महोत्सव के रूप में श्री मल्लीनाथ पशु मेले के साथ जोड़ा जाए, तो इससे इस क्षेत्र को न केवल एक नई पहचान मिलेगी बल्कि पर्यटन और व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।
क्या हो सकता है “मालाणी महोत्सव” में खास?
- लोक नृत्य एवं संगीत: कालबेलिया, घूमर, तेरहताली जैसे राजस्थानी लोक नृत्यों का मंचन।
- मालाणी घोड़ा प्रदर्शन: प्रसिद्ध मालाणी नस्ल के घोड़ों का भव्य प्रदर्शन और प्रतियोगिता।
- स्थानीय हस्तशिल्प एवं कला प्रदर्शनी: बालोतरा और आसपास के कारीगरों की कला को मंच।
- पारंपरिक खेल-कूद एवं प्रतियोगिताएं: ऊँट दौड़, कबड्डी, कुश्ती, एवं ग्रामीण खेलों का आयोजन।
- श्री मल्लीनाथ पशु मेले का समावेश: जिससे पशुपालकों और व्यापारियों को भी लाभ मिले।
- सांस्कृतिक संध्या: नामी लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुति जिससे महोत्सव को राष्ट्रीय पहचान मिले।
जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को करनी होगी पहल
इस महोत्सव को हकीकत में बदलने के लिए स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधि, समाजसेवी संस्थाएं और व्यापारिक संगठनों को मिलकर कार्य करना होगा। यदि सरकार इसे आधिकारिक रूप से मान्यता दे और प्रचारित करे तो यह बालोतरा की पहचान को चार चांद लगा सकता है।
पर्यटन और अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
“मालाणी महोत्सव” से न केवल बालोतरा की संस्कृति को नया मंच मिलेगा, बल्कि इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। होटल, रेस्टोरेंट, हस्तशिल्प, व्यापार और स्थानीय कलाकारों को भी आर्थिक लाभ होगा।
अब वक्त आ गया है कि बालोतरा भी अपनी अलग पहचान बनाए और “मालाणी महोत्सव” के रूप में एक नया सांस्कृतिक पर्व मनाया जाए, जिससे यह ऐतिहासिक नगर देशभर में अपनी अलग छाप छोड़ सके।