- बालोतरा के गांधीपुरा क्षेत्र में सरकारी विद्यालय संख्या चार में बच्चों से मनमानी गणवेश लाने के लिए पड़ताड़ित किया जा रहा है।
- बच्चों से बुधवार और शनिवार को एक विशेष पोषक लोवर और टीशर्ट मंगवाई जा रही है।
- यह गणवेश एक निश्चित दुकान पर ही मिलती है।
- इससे साफ ज़ाहिर होता है कि बच्चों से दबाव बना कर नई गणवेश का मोटा कमीशन विद्यालय के प्रधानाध्यापिका को मिलता होगा।
- सरकारी विद्यालय में अधिकतर गरीब परिवार के बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं।
राजस्थान के बाड़मेर जिले के बालोतरा शहर के गांधीपुरा क्षेत्र में स्थित सरकारी विद्यालय संख्या चार में बच्चों से मनमानी गणवेश लाने के लिए पड़ताड़ित किया जा रहा है। विद्यालय में बच्चों से बुधवार और शनिवार को एक विशेष पोषक लोवर और टीशर्ट मंगवाई जा रही है। यह गणवेश एक निश्चित दुकान पर ही मिलती है।
अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय के उप प्रधानाध्यापक और प्रधानाध्यापिका बच्चों को दबाव बनाकर नई गणवेश लाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। अगर बच्चे नई गणवेश नहीं लाते हैं, तो उन्हें स्कूल में परेशान किया जाता है।
अभिभावकों का कहना है कि यह गणवेश हमारी मारवाड़ की सभ्यता के अनुसार असभ्य है। यह गणवेश सरकारी विद्यालय में अधिकतर गरीब परिवार के बच्चों को ख़रीदकर पहननी पड़ रही है।
इसके अलावा, विद्यालय के प्रधानाध्यापक और उप प्रधानाध्यापक बच्चों से चंदा भी वसूल रहे हैं। चंदा से एक प्लॉट खरीदने की बात कही जा रही है, लेकिन शिक्षा विभाग को ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई है।
अभिभावकों का कहना है कि इस चंदा वसूली में भी एक बड़े घोटाले की बू आ रही है। यह सब अलग-अलग कक्षाओं के पढ़ाई के लिए बने व्हाट्सएप ग्रुप में भेजा जा रहा है और बच्चों को मौखिक तौर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है। आसपास के लोगों से चंदा क्यूआर कोड के माध्यम से करवाने के लिए कहा जा रहा है।
जब इस मामले की जानकारी बालोतरा न्यूज़ टीम के संज्ञान में आई, तो ब्लॉक शिक्षा अधिकारी छगनलाल से दूरभाष पर बात करने के दौरान बताया कि शिक्षा विभाग ऐसी कोई गतिविधि की अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने साफ तौर पर बताया कि विभाग ने चंदा इक्कठा करवाने के लिए निर्देशित नहीं किया है और सरकारी विद्यालय गणवेश बदलने का अधिकार केवल सरकार के पास होता है।
इस विद्यालय में उप प्रधानाध्यापक और प्रधानाध्यापिका विधार्थियो के लिए बने व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से एक QR कोड भेजते है और कहा जाता है की विद्यालय को एक प्लॉट खरीदना है उसके लिए चंदा इक्कठा करवाने का अनुरोध किया जा रहा है जबकि शिक्षा विभाग को ऐसी कोई उस विध्यालय से आज्ञा व सूचना प्रेषित नही गई है जबकि सरकारी विधालय के पर्याप्त स्थान पर सुव्यवस्थित बना हुआ हैं. सरकारी विद्यालय केस लिए जमीन का खरीदने और प्राप्त करने का अधिकार राज्य सरकार पास होता है चाए वो सरकारी भूमि हो या दानदाता द्वारा भेट की गई जमीन हो सरकारी विद्यालय में कोई भी कर्मचारी स्थाई नहीं होता है उनका स्थानांतरण होता रहता हैं तो सोचने की बात यह यह हैं की प्रधानाध्यापिका को जमीन ख़रीदने करने का अधिकार किसने दिया
इस चंदा इक्कठा कराने में भी एक बड़े घोटाले की बू आ रही है यह सब अलग अलग कक्षा के पढ़ाई लिए बने व्हाट्सएप ग्रुप में भेजा रहा और विधार्थियो को मौखिक तौर पर प्रोसाहित किया जा रहा हैं आस पास के लोगो से चंदा क्यूआर कोड के माध्यम से करवाने के लिए कहा जा रहा जब इस मामले की जानकारी बालोतरा न्यूज़ टीम के संज्ञान में लेते ही ब्लॉक शिक्षा अधिकारी छगनलाल से दूरभाष पर बात करने के दौरान बताया की शिक्षा विभाग ऐसी कोई गतिविधि की आज्ञा नहीं दी गई है साफ तौर पर बताते हए कहा की ना ही चंदा इक्कठा करवाने के लिए निर्देशित किया था और और कहा ही सरकारी विद्यालय गणवेश बदलने का अधिकार केवल सरकार के पास होता हैं उस के प्रधानाध्यापिका ने नियमों को ताक पर रखकर मोटा कमीशन पाने की नियत से गणवेश में बदलने का कार्य किया हैं
गणवेश केवल एक दुकान पर मिलती हैं हमने प्रतिकूल गुणवाता वाली पौषक 350 रूपए तक मिल जाती है जबकि उस दुकान पर 800 से अधिक मूल्य वसूले जा रहें है इससे प्रतीत हो रहा है सरकारी विद्यालय के प्रधानाध्यापिका के मोटा कमीशन निर्धारित किया हुआ है
विधालय में लोवर टीशर्ट जैसे असभ्य वस्त्र ही क्यों??
सरकारी विद्यालय नियमों की पालना के लिए बाध्य होते है तो भी उनके तर्क उचित नहीं है आम तौर पर सफेद पौषक भी रख सकते है जो की हर जगह आसानी से उपलब्ध रहती हैं सभ्य भी होती हैं लोवर टीशर्ट पर ब्रांडिंग करवाने से ये शक और भी गहरा होता जा रहा है कमीशन का खेल चल रहा है
सरकारी विद्यालय में अधिकतर गरीब परिवार के बच्चे पढ़ाई करते हैं राज्य सरकार भी गणवेश जो सरकार द्वारा जारी की गई उसके लिए अनुदान भी देती है जबकि विद्यालय ने गरीब परिवार के बच्चो पर आर्थिक भार थोप दिया है जो गरीबी में पहाड़ बन कर खड़ा हैं विधालय के शिक्षकों द्वारा बच्चो पर निजी निर्धारित दुकान से खरीदने के लिए दबाव बनाया जा रहा हैं
विश्लेषण:
यह मामला बालोतरा के सरकारी स्कूलों में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक और अन्य शिक्षक बच्चों को दबाव बनाकर मनमानी गणवेश लाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इससे बच्चों को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक पीड़ा भी हो रही है।
इस मामले में शिक्षा विभाग को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। विद्यालय के प्रधानाध्यापिका और अन्यों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।