मानसून के इस सीजन में जहां पूरे देश में बारिश हो रही है, वहीं पश्चिमी राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में अभी तक अच्छी बारिश नहीं हुई है। इस कारण किसानों की चिंता बढ़ गई है। बारिश नहीं होने से किसानों की फसलों के कम होने का खतरा है।
मारवाड़ क्षेत्र में इस वर्ष मानसून के प्रवेश न होने से किसान भारी चिंता में हैं। पश्चिमी राजस्थान में अच्छी बारिश न होने से किसानों की फसलें प्रभावित हो रही हैं। मुख्यतः बाजरा, मूँग मोठ, और गवार जैसी फसलों की बुआई का समय निकलता जा रहा है। खेतों की सफाई के बावजूद, बारिश न होने से किसानों की आशाएं मुरझा रही हैं और मवेशियों के लिए चारे की कमी से भी परेशानी बढ़ रही है।
पश्चिमी राजस्थान में मौसम विभाग ने भी मानसून के कमजोर होने की आशंका जताई है। मानसून सीजन का एक पखवाड़ा बीतने के बाद भी मारवाड़ क्षेत्र में अच्छी बारिश नहीं हुई है। ऐसे में किसानों ने भगवान इन्द्र को प्रसन्न करने के लिए मेहजाल करेंगे ।
क्या होता है मेहजाल ?
मेहजाल एक पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठान है जिसे मानसून के दौरान किया जाता है जब बादल बरसते नहीं हैं। इस अनुष्ठान में गाँव के किसान भगवान मोमाजी, खेतलाजी, भोमियाजी के मंदिर पर इकट्ठा होते हैं। वे पूरे गाँव से बाजरी और गेहूँ इकट्ठा करके उसे पका कर गुगरिया और मातर बनाते हैं और भगवान को भोग चढ़ाते हैं। इसके बाद प्रसाद को चारों दिशाओं में पक्षियों को खिलाने के लिए फेंका जाता है। इस प्रसाद को भक्तों को भी खिलाया जाता हैं और भगवान इन्द्र को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
किसानों का मानना है कि मेहजाल करने के बाद बादल बरसने लगते हैं और बारिश होती है। इस धार्मिक गतिविधि से किसानों का प्रकृति और पशु-पक्षियों के प्रति प्रेमभाव देखने को मिलता है और उनके भगवान में अटूट विश्वास की झलक भी दिखाई देती है।
धार्मिक आस्था से जुड़ी आशा
मेहजाल किसानों की धार्मिक आस्था का प्रतीक है। यह अनुष्ठान न केवल उनकी फसलों को बचाने का प्रयास है बल्कि उनके दिलों में भगवान इन्द्र और प्रकृति के प्रति गहरा प्रेम और विश्वास भी प्रकट करता है।
मारवाड़ के किसान भगवान इन्द्र को प्रसन्न करने के लिए मेहजाल करने की तैयारी कर रहे हैं और उम्मीद है कि इस अनुष्ठान के बाद बारिश होगी और उनकी फसलें समृद्ध होंगी।
किसानों की उम्मीद:
किसानों को उम्मीद है कि ‘मेहजाल’ करने से भगवान इंद्र प्रसन्न होंगे और जल्द ही बारिश होगी।
निष्कर्ष:
‘मेहजाल’ पश्चिमी राजस्थान के किसानों की भगवान इंद्र के प्रति आस्था और प्रकृति प्रेम का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि किसान हर मुश्किल परिस्थिति में भी हार नहीं मानते हैं और उम्मीद का दामन थामे रहते हैं।