बालोतरा, राजस्थान:
राज्य के जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी का शुक्रवार को बालोतरा दौरा खासा चर्चाओं में रहा। दौरे का उद्देश्य जिले में व्याप्त पेयजल संकट की समीक्षा और ज़मीनी हकीकत का जायजा लेना था, लेकिन प्रशासन के कदमों ने इस दौरे की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बैठक स्थल में अचानक बदलाव: क्या छिपाना चाह रहा था प्रशासन?
पहले से निर्धारित बैठक बालोतरा कलेक्ट्रेट सभागार में होनी थी, लेकिन ऐन मौके पर इसे CETP (कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) सभागार में स्थानांतरित कर दिया गया। इस अचानक फैसले को लेकर राजनीतिक गलियारों में खासी हलचल देखने को मिली। कई लोगों का मानना है कि यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि आमजन की पहुंच मंत्री तक न हो सके और स्थानीय जल संकट की वास्तविकता उन तक न पहुंचे।
मीडिया को भी बैठक से रखा दूर, उठे पारदर्शिता पर सवाल
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि प्रशासन ने मीडिया को बैठक से दूर रखा। पत्रकारों को बैठक में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे सवाल उठने लगे कि जब समीक्षा पारदर्शी होनी चाहिए, तो फिर मीडिया को क्यों रोका गया?

“जब जनता और मीडिया को शामिल ही नहीं किया गया, तो फिर यह किस प्रकार की समीक्षा बैठक है?” — यह सवाल स्थानीय नागरिकों और पत्रकारों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
बड़े नेता रहे मौजूद, पर आमजन गायब
बैठक में जलदाय मंत्री के साथ बाड़मेर, बालोतरा, सिवाना और चौहटन के विधायक — प्रियंका चौधरी, हमीरसिंह भायल, आदूराम मेघवाल और स्वरूप सिंह खारा — मौजूद रहे। ज़िला कलेक्टर सुशील कुमार और एसपी अमित जैन भी बैठक में सम्मिलित हुए। लेकिन इन सभी बड़े चेहरों के बीच न तो आमजन की कोई आवाज़ सुनी गई और न ही क्षेत्रीय समस्याओं को खुले मंच पर उठाने का अवसर मिला।
भाजपा नेताओं की सतर्कता या डर?
सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेताओं को यह भय सता रहा था कि यदि आमजन मंत्री से सीधे संवाद करेंगे, तो सरकार की छवि पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसी कारण बैठक की जगह बदली गई और उसे सीमित दायरे में रखा गया।
पेयजल संकट की गंभीरता बनी हुई
बालोतरा समेत पूरे ज़िले में गर्मी के इस मौसम में पानी की गंभीर किल्लत है। ग्रामीण इलाकों में टैंकरों पर निर्भरता बढ़ गई है, जबकि शहरी इलाकों में भी 15 दिनों से जल आपूर्ति बाधित है एक पखवाड़े के अंतराल से पानी की सप्लाई होती है। ऐसे में मंत्री का दौरा आशा की किरण लेकर आया था, लेकिन जब जनता को उनसे मिलने ही नहीं दिया गया, तो समस्याओं के समाधान की उम्मीद भी धुंधली पड़ गई।
निष्कर्ष:
बालोतरा में PHED मंत्री कन्हैयालाल चौधरी का दौरा जितना अहम था, उतना ही विवादों में घिर गया। प्रशासन द्वारा बैठक स्थल बदलना और मीडिया को दूर रखना इस दौरे की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। जब जनता की समस्याएं सीधे मंत्री तक नहीं पहुंच पाईं, तो फिर यह समीक्षा किस काम की?