स्मैक कारोबार रोकने में पुलिस-प्रशासन फेल

Rupesh Prajapat
  • स्मैक कारोबार रोकने में पुलिस फेल, नतीजा: महिलाएं भी बन रही मौत की सौदागर
  • बालोतरा रिपोर्टर रूपेश प्रजापत बालोतरा शहर में बढ़ते स्मैक के कारोबार के खिलाफ कार्रवाई के बजाय पुलिस खुद को असहाय महसूस कर रही है। स्मैक कारोबारी जहां इसे बेचने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं, वहीं पुलिस कम मात्रा में स्मैक मिलने का हवाला देकर कोई कार्रवाई नहीं करती।
  • स्मैक के नशे में धुत नशेडी राहगीरों से पेसो व रंगदारी की मांग कर रहे है और राहगीरों से लड़ाई झगड़े के लगातार मामले आ रहे है सामने
  • स्मैक कारोबार में पुलिस का भी हाथ
Balotra News Photo
फाइल फोटो

पुलिस की इस शिथिलता का नतीजा यह कि एक वर्ष में बालोतरा में स्मैक कारोबारियों की तादाद बढ़कर एक दर्जन से अधिक हो गई है। इससे चोरी व जेबतराशी की वारदातों में भी इजाफा हुआ है। स्मैक के नशीले कारोबार में अच्छी कमाई के चलते इसमें महिलाएं भी लिप्त हो गई हैं। शहर भर में स्मैक का नशा युवाओं की रगों में नासूर की तरह जगह बनाता जा रहा है। पुलिस की नरमी के कारण आज बालाेतरा के हर मुख्य मार्गों, चौराहों व गली-मौहल्लों में किराणा की दुकान की तरह आसानी से स्मैक की पुड़िया उपलब्ध है। नशे के आदी युवाओं में स्मैक का धुआं इस तरह घर कर जाता है कि कुछ देर तक इसका डोज नहीं मिलने पर वे खुद को नोंचने की स्थिति में आ जाते हैं। बड़े शहरों की तर्ज पर बालोतरा में गहरी पैठ जमा चुका स्मैक का कारोबार कई परिवार को बर्बादी की कगार पर पहुंचा रहा है। इधर, पुलिस स्मैक कारोबारियो के पास कम मात्रा में स्मैक मिलने व कस्टडी के दौरान स्मैकचियों की हालत बिगड़ती देख उन्हें छोड़ देती है।

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एक्सपर्ट व्यू
स्मैक की 0.001 प्रतिशत मात्रा भी किसी के पास पकड़ी जाती है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। इसमें धारा 29 के तहत स्मैक देने वाला व लेने वाला दोनों अपराधी होते हैं। पुलिस 1 ग्राम का चौथा या पांचवां हिस्सा पकड़कर मुकदमा नहीं बनने की बात कर रही है, तो गलत है। इस प्रकार की शिथिलता ही अपराध को बढ़ावा देती है। आज के समय बाजार में सप्लाई होने वाली स्मैक में 99 फीसदी केमिकल व नशीली दवाइयां मिली होती है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद की खतरनाक होती हैं, यानि कि यह नशा खुद को आत्महत्या की ओर धकेलने जैसा है। पुलिस शिथिलता नहीं बरतकर सख्त रवैया अपनाएं, ताकि युवाओं को गलत व अपराध की राह तक जाने से बचाया जा सके। –

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