बाड़मेर: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और आरएएस अधिकारी ललित कुमार मेवाड़ा को 73,800 रुपए नकद के साथ डिटेन किया है। यह कार्रवाई बाड़मेर जिले के सरणू गांव के पास की गई, जहां मेवाड़ा सरकारी गाड़ी (आरजे-22 टीए 4298) में यात्रा कर रहे थे।
कैसे हुई कार्रवाई?
एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह के अनुसार, टीम को गोपनीय सूचना मिली थी कि ललित कुमार मेवाड़ा विभागीय हॉस्टल और अन्य संस्थाओं के ठेकेदारों से बिल पास कराने के एवज में रिश्वत की राशि एकत्रित कर रहे हैं। सूचना के आधार पर एसीबी ने सरणू गांव के पास वाहन को रुकवाया और तलाशी ली।
तलाशी के दौरान बरामदगी:
- वाहन के ड्राइवर सीट के पास की डिक्की से: 50,000 रुपए नकद
- अधिकारी के जैकेट से: 23,800 रुपए नकद
कुल मिलाकर 73,800 रुपए नकद बरामद हुए, जिसके बारे में मेवाड़ा संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इसके बाद उन्हें एसीबी कार्यालय बाड़मेर लाया गया, जहां उनसे पूछताछ जारी है।
कई पदभार, बढ़ती जिम्मेदारियां:
ललित कुमार मेवाड़ा वर्तमान में जालोर के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा उनके पास तीन और जिलों के अतिरिक्त चार्ज हैं:
- बाड़मेर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी (अतिरिक्त चार्ज)
- सिरोही जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी (अतिरिक्त चार्ज)
- जालोर जिला रोजगार कार्यालय (अतिरिक्त चार्ज)
विवादास्पद बैंक अकाउंट विवरण:
प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया कि मेवाड़ा ने पिछले कई महीनों से अपने सैलरी अकाउंट से कोई राशि नहीं निकाली है। यह तथ्य भी एसीबी के संदेह को मजबूत करता है कि नकद राशि किसी अनियमित लेन-देन से जुड़ी हो सकती है।
आगे की कार्रवाई:
अधिकारी से पूछताछ के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि नकद राशि का स्रोत क्या है। एसीबी टीम इस मामले में संबंधित ठेकेदारों और विभागीय दस्तावेजों की भी जांच करेगी।
एसीबी का सख्त रुख:
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह ने कहा, “भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी नीति जीरो टॉलरेंस की है। किसी भी संदिग्ध अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
इस घटना ने जिले में हलचल मचा दी है और सरकारी अधिकारियों में भी चिंता का माहौल बना हुआ है। अब देखना यह है कि जांच में और क्या खुलासे होते हैं।