जैसलमेर जिले के झिंझिनियाली थाना हल्के के बईया गांव में सरकार द्वारा अडानी कंपनी को सोलर प्लांट स्थापित करने के लिए दी गई जमीन आवंटन पर ग्रामीणों का विरोध चरम पर है। शनिवार को इस ज़मीन आवंटन के खिलाफ ग्रामीणों ने विशाल विरोध प्रदर्शन किया, जिसका नेतृत्व शिव से विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने किया। इस आंदोलन में न केवल बईया गांव के लोग बल्कि जिले के दूर-दराज के कई हजार ग्रामीण अपनी आवाज़ बुलंद करने पहुंचे। भारी संख्या में जनसमूह की उपस्थिति ने प्रशासन और सरकार तक ये संदेश पहुंचाया कि इस संघर्ष को हलके में नहीं लिया जा सकता।
रविन्द्र सिंह भाटी का प्रभावशाली नेतृत्व और भावुक अपील:
विरोध प्रदर्शन का माहौल उस समय और भी जोशीला हो गया जब शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने खुद मंच से बोलते हुए कहा, “यह सिर्फ जमीन का सवाल नहीं है, यह हमारी पहचान, हमारी धरोहर और हमारी प्रकृति की रक्षा का प्रश्न है। हम बईया गांव के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं होने देंगे। यह ओरण और गौचर की जमीन है, जो न केवल हमारी संस्कृति बल्कि हमारे अस्तित्व का प्रतीक भी है। निजी कंपनियों के नाम पर इसका विनाश किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।”
विकास के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण, लेकिन जबरदस्ती नहीं सहेंगे:
अपने संबोधन में, भाटी ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह विकास के विरोधी नहीं हैं। उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा, “मैं विकास के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन यह जो लोग दादागिरी करके हमारी ओरण और गौचर भूमि पर जबरदस्ती सोलर प्लांट लगाना चाहते हैं, यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” भाटी का यह बयान स्पष्ट करता है कि वह प्रगति के पक्षधर हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता अपने क्षेत्र की परंपरा, संस्कृति और पर्यावरण को सुरक्षित रखना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विकास का नाम लेकर जबरदस्ती ओरण और गौचर भूमि का दोहन अस्वीकार्य है, और ऐसी किसी भी कोशिश का वह पुरजोर विरोध करेंगे।
गांववासियों की प्रमुख माँगें और प्रशासन तक सख्त संदेश:
ग्रामीणों ने तहसीलदार के माध्यम से जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने सख्त मांग की है कि इस इलाके की ओरण की जमीन को तुरंत अडानी कंपनी से मुक्त किया जाए। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि भविष्य में किसी भी कंपनी को जमीन आवंटित करते समय ओरण और गौचर की जमीन को नहीं छुआ जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि वे इस आंदोलन को तब तक जारी रखेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी मांग की है कि ओरण और गौचर की जमीन को राजस्व में दर्ज करवाया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी जमीनों का विनाश रोका जा सके। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि कई कंपनियां आवंटन की गई जमीनों में पेड़-पौधों को काट रही हैं, जिससे वन्यजीवों और पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है।
भविष्य की रणनीति और भाटी की चेतावनी:
आने वाले दिनों में, पांच ग्रामीणों का एक दल जिला कलेक्टर से मिलकर अपनी पूरी बात उनके सामने रखेगा। तब तक, विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने प्रशासन से निजी कंपनियों द्वारा किए जा रहे काम को तुरंत रोकने का आदेश देने की अपील की है। भाटी ने कहा, “यह संघर्ष एक लंबी लड़ाई है, और हम इसे तब तक जारी रखेंगे जब तक हमारी भूमि, हमारे पेड़, हमारे वन्यजीव सुरक्षित नहीं हो जाते। कोई भी कंपनी या ताकत हमारे अधिकारों को छीन नहीं सकती।”
इस घटना ने पूरे जिले में हलचल मचा दी है। रविन्द्र सिंह भाटी के इस साहसिक कदम से ग्रामीणों को एक मजबूत नेतृत्व मिला है, और यह विरोध अब केवल एक गांव का नहीं रहा, बल्कि जिले के अन्य गांवों में भी जागरूकता और प्रतिरोध की लहर दौड़ गई है। भाटी की भूमिका ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह हर कीमत पर अपने क्षेत्र और अपने लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े रहेंगे।
जैसलमेर जिले के झिंझिनियाली थाना हल्के में बईया गांव का संघर्ष अब एक बड़े आंदोलन में बदल चुका है। सरकार द्वारा अडानी कंपनी को सोलर प्लांट स्थापित करने के लिए आवंटित की गई जमीन को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश चरम पर है। शनिवार को हजारों ग्रामीणों ने इस आवंटन के खिलाफ विशाल प्रदर्शन किया, जिसका नेतृत्व शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने किया। उनकी जोशीली अपील ने आंदोलन को और भी प्रखर बना दिया, जो अब प्रशासन और सरकार तक स्पष्ट संदेश पहुंचा रही है कि ग्रामीण अपनी जमीन, संस्कृति और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए दृढ़ हैं।
विधायक रविन्द्र सिंह भाटी का भावुक संदेश: ‘हमारी धरोहर की रक्षा हमारी जिम्मेदारी है’
शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने मंच से अपने भावुक संबोधन में कहा, “यह केवल जमीन का मसला नहीं है, यह हमारे पूर्वजों की धरोहर, ओरण और गौचर की रक्षा का सवाल है। इस जमीन का विनाश हमारे अस्तित्व को चोट पहुँचाएगा। निजी कंपनियों के लालच के आगे हम झुकेंगे नहीं।” उनके इन शब्दों ने जनसमूह में नई ऊर्जा भर दी, जिससे यह साफ हो गया कि यह विरोध केवल विकास विरोधी नहीं है, बल्कि अनियंत्रित शोषण के खिलाफ एक प्रतिरोध है।
विकास के प्रति संतुलित दृष्टिकोण, पर जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं:
भाटी ने अपने संबोधन में विकास का समर्थन किया, परन्तु स्पष्ट किया कि वह किसी भी कीमत पर ओरण और गौचर की जमीन का अनावश्यक दोहन बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “मैं विकास के पक्ष में हूँ, परन्तु ऐसी परियोजनाएं जिनसे हमारे पर्यावरण और हमारी संस्कृति को नुकसान हो, उन्हें नहीं होने देंगे। हमारी प्राथमिकता अपने प्राकृतिक संसाधनों और पहचान की सुरक्षा है।” उनके इस संतुलित दृष्टिकोण ने लोगों में विश्वास और जागरूकता दोनों को मजबूती दी।
ग्रामीणों की मुख्य माँगें और सख्त चेतावनी:
प्रदर्शन के बाद, ग्रामीणों ने तहसीलदार के माध्यम से जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा। इसमें निम्नलिखित माँगें की गईं:
- ओरण और गौचर भूमि की सुरक्षा: अडानी कंपनी को आवंटित जमीन को तुरंत रद्द किया जाए और भविष्य में ओरण और गौचर जमीनों को निजी कंपनियों को आवंटित न किया जाए।
- प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: ओरण और गौचर भूमि को राजस्व में दर्ज किया जाए ताकि भविष्य में इसके अतिक्रमण से बचा जा सके।
- वन और वन्यजीव संरक्षण: ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कंपनियों द्वारा पेड़-पौधों को काटा जा रहा है जिससे पर्यावरण और वन्यजीवों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इसे तुरंत रोका जाए।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी माँगें पूरी नहीं होतीं, तो यह आंदोलन जारी रहेगा और इसे और अधिक व्यापक स्तर पर ले जाया जाएगा।
आगे की रणनीति और विधायक का संकल्प:
भविष्य की योजना के तहत, ग्रामीणों का एक पांच-सदस्यीय दल जिला कलेक्टर से मुलाकात कर इस मामले पर विस्तृत चर्चा करेगा। इसके अलावा, भाटी ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि वे निजी कंपनियों के सभी कार्यों को तुरंत रोकने का आदेश दें। उन्होंने कहा, “यह संघर्ष लंबी लड़ाई है और हम इसे तब तक जारी रखेंगे जब तक हमारी जमीन, पेड़-पौधे और वन्यजीव सुरक्षित नहीं हो जाते। कोई भी ताकत हमारे अधिकारों को नहीं छीन सकती।”
भाटी का नेतृत्व: एक मजबूत आवाज
शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी के इस साहसिक कदम ने न केवल बईया गांव बल्कि जिले के अन्य गांवों में भी जागरूकता और प्रतिरोध की लहर फैलाई है। उनका यह कदम यह दर्शाता है कि वह अपने क्षेत्र और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। भाटी ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने क्षेत्र की संस्कृति, पर्यावरण, और ग्रामीणों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे।
जैसलमेर जिले में बढ़ता विरोध, निजी कंपनियों के खिलाफ एकजुट ग्रामीण
जैसलमेर जिले के बईया गांव में ग्रामीणों ने निजी कंपनियों द्वारा सोलर प्लांट स्थापित करने के लिए आवंटित जमीन पर कड़ा विरोध जताया है। अडानी कंपनी को सोलर प्लांट के लिए आवंटित ओरण और गौचर भूमि पर विरोध के स्वर तेज हो रहे हैं, जिसमें सैकड़ों ग्रामीणों ने शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी के नेतृत्व में विशाल प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में न केवल बईया, बल्कि आसपास के गांवों से भी लोग शामिल हुए, जिन्होंने सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि उनकी जमीन पर इस तरह का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।
विधायक रविन्द्र सिंह भाटी का भाषण: ग्रामीणों की भावनाओं का समर्थन
विधायक भाटी ने प्रदर्शन में भावुक होकर कहा, “यह हमारी भूमि, हमारी पहचान और हमारी सांस्कृतिक धरोहर का प्रश्न है। इस भूमि पर कोई भी दखल हमारे भविष्य और पर्यावरण के लिए खतरा है। निजी कंपनियों के नाम पर प्रकृति का विनाश सहन नहीं किया जाएगा।” उन्होंने ग्रामीणों की मांगों को स्पष्ट रूप से समर्थन दिया और कहा कि विकास के नाम पर जबरन कब्जा और दादागिरी की राजनीति उन्हें स्वीकार नहीं।
ग्रामीणों की मांगें: ओरण और गौचर की जमीन पर स्थायी समाधान
प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने तहसीलदार के माध्यम से जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए यह मांग की कि इस इलाके की ओरण और गौचर भूमि को अडानी कंपनी से मुक्त करवाया जाए। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि भविष्य में इस तरह की भूमि का आवंटन किसी भी निजी कंपनी को न किया जाए। ग्रामीणों ने राजस्व में इन भूमि को दर्ज करवाने की मांग करते हुए चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
विधायक भाटी का संदेश: क्षेत्र के संरक्षण के लिए दृढ़ संकल्प
विधायक भाटी ने प्रशासन से अपील की कि ओरण और गौचर भूमि पर हो रहे कार्य को तुरंत रोका जाए और कहा, “हम इस संघर्ष को तब तक जारी रखेंगे, जब तक हमारी भूमि सुरक्षित नहीं हो जाती।” आने वाले दिनों में ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल जिला कलेक्टर से मिलेगा ताकि अपनी माँगों को विस्तार से रखा जा सके।
इस घटना का व्यापक प्रभाव
इस आंदोलन ने जैसलमेर जिले में बड़ी हलचल पैदा कर दी है, जिससे अन्य गांवों में भी जागरूकता बढ़ी है। विधायक रविन्द्र सिंह भाटी के साहसिक नेतृत्व से ग्रामीणों को नई ऊर्जा मिली है, और अब यह विरोध सिर्फ बईया तक सीमित नहीं रहा। भाटी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पर्यावरण और ग्रामीणों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए संघर्ष करते रहेंगे।
आगे की रणनीति
ग्रामीणों और उनके नेता भाटी का यह कदम क्षेत्र में निजी कंपनियों के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ एक संदेश है। अब सभी की निगाहें सरकार और प्रशासन के अगले कदम पर हैं, जिससे यह पता चलेगा कि क्या ग्रामीणों की मांगें मानी जाएंगी या यह संघर्ष और लंबा चलेगा।