देशभर में अब E20 यानी 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल-डीजल बेचा जा रहा है, लेकिन ग्राहकों की नाराज़गी भी तेज़ है। 55 रुपये प्रति लीटर बेस प्राइस वाले पेट्रोल पर भारी भरखम टैक्स के बाद कीमत 105 रुपये तक पहुंच रही है, और उसमें भी अब सिर्फ़ 800ml ही पेट्रोल होता है, बाकी 200ml इथेनॉल मिलाया जा रहा है।

सरकार का कहना है कि 2030 तक 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य था, जिसे 5 साल पहले ही हासिल कर लिया गया — यह एक “हरित ऊर्जा” की उपलब्धि है। लेकिन उपभोक्ताओं का तर्क है कि यह खुशी की बात कम और चिंता की बात ज़्यादा है, क्योंकि:
• अधिकांश गाड़ियों के इंजन E10 के लिए डिज़ाइन हुए हैं, E20 से माइलेज और परफ़ॉर्मेंस घट रही है।
• ईंधन विकल्प (E5, E10, E20 या बिना इथेनॉल वाला पेट्रोल-डीजल) खुले बाज़ार में उपलब्ध नहीं हैं।
• लागत घटने के बावजूद दाम में कोई राहत नहीं मिली।
वाहन मालिक सवाल उठा रहे हैं — “जब सोना 22 कैरेट का सस्ता मिलता है, दूध में पानी की मिलावट बर्दाश्त नहीं होती, तो पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिलाकर भी कीमत क्यों नहीं घट रही?”
ईंधन विशेषज्ञ मानते हैं कि इथेनॉल ब्लेंडिंग से प्रदूषण कम होता है और गन्ना किसानों को लाभ मिलता है, लेकिन तकनीकी बदलाव और पारदर्शी मूल्य निर्धारण के बिना इसका असर उपभोक्ताओं के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।