बालोतरा/मुनस्यारी, 7 सितंबर 2025 —
कहते हैं “जहाँ चाह, वहाँ राह”। राजस्थान के बालोतरा के चार छात्रों ने इस कहावत को हकीकत में बदल दिया। विपरीत परिस्थितियों और भारी खर्च के बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा को प्राथमिकता दी और परीक्षा केंद्र तक पहुँचने के लिए हेलीकॉप्टर का सहारा लिया।

उत्तराखंड में लगातार बारिश और भूस्खलन
पिछले कई दिनों से उत्तराखंड में लगातार भारी बारिश हो रही है। जगह-जगह भूस्खलन होने से सड़क मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है। हल्द्वानी से मुनस्यारी तक का 300 किलोमीटर का रास्ता, जो सामान्यतः 10 घंटे में तय होता है, पूरी तरह से बंद पड़ा है। नतीजा यह हुआ कि यातायात ठप हो गया और लोगों के लिए आवाजाही नामुमकिन हो गई।
कौन हैं ये छात्र?
ये चारों छात्र मूल रूप से बालोतरा (राजस्थान) के रहने वाले हैं और साथ ही तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। इसके बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और बी.एड. ओपन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रहे हैं।
छात्रों के नाम हैं:
- प्रकाश चौधरी (बांकियावास)
- मगाराम चौधरी (सिणधरी)
- लकी चौधरी (गिड़ा)
- ओमाराम चौधरी (नेवरी)
इनका परीक्षा केंद्र मुनस्यारी स्थित आर.एस. टोलिया पीजी कॉलेज तय किया गया था। यह परीक्षा उनके अंतिम सेमेस्टर की थी, जिसे छोड़ना या मिस करना संभव नहीं था।
सड़कें बंद, लेकिन जज़्बा कायम
परीक्षा से ठीक पहले जब सड़कें बंद हुईं, तो छात्रों के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी — “किसी भी हाल में परीक्षा केंद्र तक पहुँचना।”
अगर वे परीक्षा मिस कर देते, तो पूरा वर्ष बर्बाद हो सकता था।
इसी मुश्किल घड़ी में उन्होंने वैकल्पिक रास्ते तलाशने शुरू किए। सड़क से जाना असंभव था, तो उन्होंने सोचा कि हेलीकॉप्टर ही एकमात्र रास्ता बचा है।
हेलीकॉप्टर से 27 मिनट का सफर
छात्रों ने हेरिटेज एविएशन कंपनी से संपर्क किया। कंपनी ने तुरंत हल्द्वानी से मुनस्यारी तक का हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराया।
- इस यात्रा में दो पायलट मौजूद थे।
- सिर्फ 27 मिनट में छात्रों को सुरक्षित मुनस्यारी पहुँचा दिया गया।
- जबकि सामान्य परिस्थिति में सड़क मार्ग से यही दूरी 10 घंटे में तय होती।

खर्च और कठिनाई
यह यात्रा आसान तो बिल्कुल नहीं थी। हेलीकॉप्टर की यात्रा की लागत काफी अधिक रही।
- एक तरफ का किराया: ₹5,200 प्रति छात्र
- आने-जाने का कुल किराया: ₹10,400 प्रति छात्र
लेकिन छात्रों का कहना है कि उनके लिए परीक्षा देना ही सबसे बड़ा लक्ष्य था। पैसों से ज्यादा महत्वपूर्ण उनकी शिक्षा और भविष्य था।
शिक्षा के प्रति अदम्य जोश
यह घटना साबित करती है कि शिक्षा के प्रति जज़्बा और समर्पण किसी भी कठिनाई को मात दे सकता है। चारों छात्रों ने दिखा दिया कि चाहे हालात कितने भी खराब हों, सच्चे प्रयास से रास्ता हमेशा निकल ही आता है।
प्रशासन और व्यवस्था पर सवाल
हालांकि यह घटना प्रेरणादायी है, लेकिन यह शिक्षा व्यवस्था और प्रशासन के लिए भी कई सवाल खड़े करती है:
- क्या विश्वविद्यालय और प्रशासन को छात्रों के लिए वैकल्पिक परीक्षा केंद्र उपलब्ध नहीं कराना चाहिए था?
- क्या आपातकालीन स्थिति में परीक्षा स्थगित करने या विशेष इंतजाम करने की व्यवस्था नहीं हो सकती थी?
- क्या हर छात्र हेलीकॉप्टर का खर्च वहन कर सकता है?
इन सवालों के जवाब भविष्य में शिक्षा व्यवस्था और छात्रों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए बेहद अहम हैं।
निष्कर्ष
बालोतरा के इन छात्रों की यह अनोखी उड़ान केवल परीक्षा देने की कहानी नहीं है, बल्कि यह शिक्षा के प्रति समर्पण, संघर्ष और जज़्बे का संदेश भी है।
उन्होंने साबित कर दिया कि “मुश्किलें कितनी भी हों, अगर इरादा पक्का हो तो मंज़िल मिलकर ही रहती है।”