शहर के युवा प्रतिस्पर्धी 25 वर्षीय पीयूष पँवार टॉप 15 में अपनी अलग जगह बनाकर संगीत की साधना करते हुए एक से बढ़कर एक अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियां देकर अपनी गायकी से सबको प्रभावित कर टेलीविजन के रियलिटी शो इंडियन आइडल में कुमार सानू विशाल ददलानी श्रेया घोषाल से अपने गायकी का अनूठा स्पर्श जोड़ने में व अपनी गायन क्षमता से सभी को प्रभावित कर रहे हैं इसी दौरान अपनी संगीत के साधना कर रहे
पीयूष पँवार ने कक्षा 12वीं के बाद संगीत की तरफ रुझान का घर में बताया लेकिन परिवार नें पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा इसी दौरान डॉक्टरी की तैयारी करने गए और पीएमटी की परीक्षा भी पास करने के दरमियान राइजिंग स्टार में आकर पहचान भी बनाई व अपनी दादीजीं अध्यापिका स्वर्गीय दमयंती देवी पँवार से बचपन से सीख रहे संगीत का प्रमाण की व कोटा में भी अपने गायन क्षमता से सभी को प्रभावित किया। इसी के साथ पिता विक्रांत पँवार व माता विजय लक्ष्मी व छोटा भाई चंदन पँवार बालोतरा सहित राजस्थान को गौरवान्वित करा रहे हैं।
बालोतरा के सुपरस्टार: पीयूष पँवार का संगीतीय सफर
बालोतरा के जवान गायक, पीयूष पँवार, ने अपनी आवाज़ से इंडियन आइडल के टॉप 15 में अपनी अलग पहचान बनाई है। उनकी संगीत से भरी प्रस्तुतियां देखकर सभी को अपनी ओर मोड़ लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
पीयूष की गायन क्षमता ने इंडियन आइडल के मंच पर कुमार सानू, विशाल ददलानी, श्रेया घोषाल के साथ तुलना करने का मौका दिया है। उन्होंने अपनी आवाज़ से सभी को हैरान कर दिया है और उनका संगीत आत्मा को छूने में सक्षम है।
इन दिनों टेलीविजन के रियलिटी शो ‘इंडियन आइडल’ में पीयूष ने कुमार सानू विशेषज्ञ, विशाल ददलानी और श्रेया घोषाल से तुलना में अपने गायन की शानदारता दिखाई है।
पीयूष की कहानी भी काफी रोमांटिक है। कक्षा 12 के बाद, जब उन्हें संगीत की तरफ रुचि हुई, तो परिवार ने पढ़ाई की ओर ध्यान देने का सुझाव दिया। वह डॉक्टर बनने के सपने देख रहे थे, लेकिन उनका दिल संगीत में था।
इस दौरान, उन्होंने राइजिंग स्टार में आकर अपनी पहचान बनाई और दादीजी से सीखी संगीत की कला को आगे बढ़ाया। उनकी दादीजी, स्वर्गीय दमयंती देवी पँवार, का साया उनके संगीत में हमेशा बना रहता है।
बालोतरा के पीयूष पँवार इंडियन आइडल कें टॉप 15 में आकर दादी के दियें आशीर्वाद व कला सें बेहतरीन प्रस्तुतियां दे रहे हैं
उनकी दादीजी, अध्यापिका स्वर्गीय दमयंती देवी पँवार की सीखने में उनकी बड़ी भूमिका रही। उन्होंने अपने गायन क्षमता से कोटा में भी अपना नाम बनाया और लोगों को आकर्षित किया। उनकी दादीजी के देहांत के बावजूद, पीयूष ने अपने प्रवास में आगे बढ़ते हुए अपने परिवार का समर्थन पाया है।
इंडियन आइडल के शो के दौरान, उनके परिवार ने उन्हें पूरा समर्थन दिया है। पिता विक्रांत पँवार, माता विजय लक्ष्मी, और छोटे भाई चंदन ने बालोतरा को गौरवान्वित किया है।
इस युवा प्रतिस्पर्धी गायक ने दर्शकों को एक नए संगीतीय स्वरुप का अनुभव कराया है, जिसमें उनकी दादीजी की आत्मा बसी है। उनका संगीत सिर्फ गुनगुनाहट नहीं, बल्कि एक कहानी है जो हर दिल को छू जाती है।
इंडियन आइडल के मंच पर पीयूष पँवार ने अपने संगीतीय साधना से दिखाया है कि कहानियों को कैसे आवाज़ देकर वह दर्शकों को अपनी दुनिया में खींच सकते हैं।
उनकी संगीतीय प्रवृत्ति ने उन्हें नहीं सिर्फ राजस्थान का गौरव दिलाया है, बल्कि पूरे देश में भी उनकी मिसाल पेश की है। उनके संगीतीय यात्रा ने दिखाया है कि सपनों को पूरा करने के लिए कभी भी देर नहीं होती।
पीयूष पँवार की संगीतीय दार के में राजस्थान के बालोतरा का नाम रौंगत में ला रही है और आगे भी उनकी ऊंचाईयों को देखने का इंतजार है।”