बालोतरा (गाँव नरेवा – खट्टू) — राजस्थान के थार रेगिस्तान के तपते धोरों के बीच दो कच्ची झोपड़ियों में पले-बढ़े श्रवण कुमार पुत्र रेखाराम सियाग ने NEET‑2025 परीक्षा में 556 अंक प्राप्त कर AIR 9754वीं रैंक हासिल की है। इस शानदार उपलब्धि से उसने न सिर्फ अपने माता-पिता का सपना पूरा किया, बल्कि पूरे बालोतरा ज़िले और समाज का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया।

📍 जीवन की कठिन शुरुआत
- श्रवण कुमार का परिवार बालोतरा जिले के गाँव नरेवा (खट्टू) का निवासी है।
- उनका बचपन दो कच्ची झोपड़ियों में बीता जहाँ 2022 के अंत तक बिजली तक नहीं थी।
- पिता फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं और माँ शादियों में बर्तन धोने का काम करती हैं।
📚 शिक्षा में उत्कृष्टता
- श्रवण ने 10वीं में 97% और 12वीं में 88% अंक प्राप्त किए।
- NEET 2025 में 556 अंक और OBC वर्ग में AIR 4071 (जनरल में 9754वीं रैंक) प्राप्त की।
- अपनी मेहनत और सरकारी योजनाओं के सहारे श्रवण ने यह मुकाम बिना किसी महंगी कोचिंग के हासिल किया।
"पढ़ाई रोकना नहीं चाहता था": संघर्ष की रातों और मेहनत के दिनों से डॉक्टर बनने की राह पर बालोतरा का श्रवण कुमारhttps://t.co/1A7okuFO14 pic.twitter.com/xHufVO0drA
— Balotra News – बालोतरा न्यूज़ (@BalotraNews) June 16, 2025
💡 सरकारी योजनाओं की भूमिका
- राजस्थान सरकार की स्मार्टफोन योजना के अंतर्गत मिले मोबाइल फोन से उसने ऑनलाइन फ्री कोचिंग पाई।
- फ्री मेडिकल कोचिंग प्रोग्राम के ज़रिए उसे मार्गदर्शन और मोटिवेशन दोनों मिला।
- बिजली आने के बाद ऑनलाइन पढ़ाई संभव हुई और उसने दिन-रात मेहनत की।
🌟 अब है सेवा का संकल्प
- श्रवण का कहना है कि वह ग्रामीण क्षेत्र में डॉक्टर बनकर आम लोगों को उनकी भाषा में इलाज देना चाहता है।
- उसका पहला सपना है अपने पिता को मजदूरी और माँ को बर्तन धोने से मुक्ति दिलाना और एक पक्का घर बनवाना।

“पढ़ाई रोकना नहीं चाहता था”: संघर्ष की रातों और मेहनत के दिनों से डॉक्टर बनने की राह पर बालोतरा का श्रवण कुमार
बालोतरा (राजस्थान) – “मेरे पास 10वीं के बाद पढ़ाई जारी रखने के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन मैं रुकना नहीं चाहता था,” ये शब्द हैं श्रवण कुमार, बालोतरा के एक ऐसे नौजवान के, जिसने परिस्थितियों को हर दिन हराकर सफलता की नई इबारत लिखी है।
🔦 दिन में मजदूरी, रात को मोबाइल की रोशनी में पढ़ाई
19 वर्षीय श्रवण कुमार ने बताया कि वह दिन में फैक्ट्री में मजदूरी करता था और रात को कभी मोबाइल की मद्धम रोशनी में तो कभी बिना बिजली के पढ़ाई करता था।
कभी‑कभी वह अपने माता‑पिता के साथ शादियों में बर्तन धोने का काम करता था ताकि घर का गुज़ारा चल सके।
📚 तीसरे प्रयास में NEET पास किया
- NEET-UG 2025 में उसने 556 अंक प्राप्त कर ऑल इंडिया रैंक 9754 हासिल की।
- यह उसका तीसरा प्रयास था – लेकिन वह कभी नहीं रुका।
- 10वीं कक्षा में 97% और 12वीं में 87.8% अंक लाने के बाद भी आर्थिक तंगी ने उसे मजदूरी करने पर मजबूर कर दिया।
🤝 मदद बनी उम्मीद
श्रवण का जीवन तब बदला जब उसके शिक्षकों ने उसे एक NGO ‘Fifty Villagers’ से मिलवाया, जिसने उसकी पढ़ाई में सहयोग दिया। साथ ही, बाड़मेर के सरकारी डॉक्टरों के एक समूह ने उसे NEET की मुफ्त कोचिंग दी।
दो बार असफल होने के बावजूद, श्रवण ने हार नहीं मानी। “मेरे शिक्षकों और शुभचिंतकों ने मुझे फिर से कोशिश करने और हार न मानने के लिए प्रेरित किया,” श्रवण ने कहा।
🔧 साधारण परिवार, असाधारण सपना
- श्रवण के पिता एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं और माँ गांव में शादियों व आयोजनों में बर्तन धोने का काम करती हैं।
- परिवार मिट्टी के घर में रहता है जहाँ 2022 के अंत तक बिजली भी नहीं थी।
- पढ़ाई के लिए कोई कोचिंग नहीं थी, लेकिन सरकारी योजनाओं के तहत फ्री ऑनलाइन कोचिंग और स्मार्टफोन योजना ने उसकी मदद की।
📚 शैक्षणिक सफर और उपलब्धि
- श्रवण ने 10वीं में 97% और 12वीं में 88% अंक हासिल किए।
- NEET 2025 में OBC वर्ग में रैंक 4071 प्राप्त कर एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में MBBS सीट के लिए क्वालिफाई किया।
- परिणाम मिलने की खबर उसे तब मिली जब वह फैक्ट्री में काम कर रहा था — यह पल उसके लिए भावनाओं से भरा और ऐतिहासिक था।
📱 योजनाओं ने दिखाई दिशा
- राजस्थान सरकार की स्मार्टफोन योजना के अंतर्गत माँ को मिले फोन से उसने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की।
- फ्री ऑनलाइन मेडिकल कोचिंग से उसे मार्गदर्शन मिला और उसने लगातार पढ़ाई जारी रखी।
🌟 अब है लक्ष्य गाँव की सेवा
- श्रवण का सपना है कि वह डॉक्टर बनकर अपने जैसे ग्रामीणों की सेवा करे, जो अपनी भाषा में इलाज पाने से वंचित रह जाते हैं।
- उसने कहा कि सबसे पहले वह अपने पिता को मजदूरी और माँ को बर्तन धोने के काम से मुक्ति दिलाएगा।
- उसका सपना है कि वह अपने परिवार के लिए पक्का घर बनाए और समाज में एक मिसाल बने।
💖 सपना सिर्फ डॉक्टर बनना नहीं…
श्रवण का सपना सिर्फ डॉक्टर बनना नहीं है — उसका असली सपना अपने माता-पिता को वह सम्मान देना है, जिसके वे हमेशा हकदार रहे हैं।
वह चाहता है कि अब उसके माता-पिता को कभी किसी के बर्तन न धोने पड़ें और वे भी सम्मानजनक जीवन जिएं।
✍️ निष्कर्ष:
श्रवण कुमार की कहानी NEET पास करने की नहीं, हर दिन हार से जीतने की कहानी है। ये कहानी बताती है कि संघर्षों में जन्मे सपनों की उड़ान को कोई नहीं रोक सकता अगर हौसले बुलंद हों।
बालोतरा का यह बेटा अब सिर्फ एक छात्र नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है।