बालोतरा। अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद् का 17वां राष्ट्रीय अधिवेशन 26 से 28 दिसम्बर 2025 तक बालोतरा–नाकोड़ा स्थित लालबाग परिसर में आयोजित किया जा रहा है। तीन दिवसीय इस भव्य राष्ट्रीय अधिवेशन की सभी तैयारियाँ पूर्ण कर ली गई हैं और आयोजन को लेकर पूरे जोधपुर प्रांत में उत्साह का वातावरण बना हुआ है।
यह अधिवेशन अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद् द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसकी मेजबानी जोधपुर प्रांत कर रहा है। परिषद् का यह राष्ट्रीय अधिवेशन राजस्थान में पहली बार हो रहा है, जिससे बालोतरा को विधिक मानचित्र पर विशेष पहचान मिलने जा रही है।
देशभर से जुटेंगे चार हज़ार से अधिक अधिवक्ता

राष्ट्रीय अधिवेशन में देश के सभी राज्यों से करीब 4,000 से अधिक अधिवक्ता भाग लेंगे। कार्यक्रम में उच्चतम न्यायालय एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, भारत सरकार के वरिष्ठ विधि अधिकारी, केंद्रीय मंत्री तथा कानून जगत की अनेक प्रतिष्ठित हस्तियाँ शामिल होंगी।
अधिवेशन का उद्घाटन समारोह 26 दिसम्बर को दोपहर 2.30 बजे से आयोजित होगा। इससे पूर्व सुबह परिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न होगी, जिसमें संगठनात्मक विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
संविधान के 75 वर्ष और सामाजिक समरसता पर मंथन
उद्घाटन सत्र का केंद्रीय विषय “भारतीय संविधान के 75 वर्ष : सामाजिक समरसता” रखा गया है।
इस अवसर पर परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता के. श्रीनिवास मूर्ति अध्यक्षीय संबोधन देंगे, जबकि परिषद् की गतिविधियों पर प्रतिवेदन सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एवं महासचिव डी. भरत कुमार द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।
उद्घाटन कार्यक्रम में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश विजय बिश्नोई, राजस्थान उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तथा केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।

विधिक विषयों पर तीन दिन गहन विमर्श
तीन दिवसीय अधिवेशन के दौरान संविधान, सामाजिक समरसता, कोर्ट रूम कल्चर, भारतीय चेतना, विधि व्यवस्था और अधिवक्ताओं से जुड़े समसामयिक मुद्दों पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन सत्रों में देशभर से आए वरिष्ठ अधिवक्ता, न्यायाधीश और विधि विशेषज्ञ अपने विचार साझा करेंगे।
साथ ही परिषद् की आगामी वर्षों की गतिविधियों, अभियानों और कार्यक्रमों की रूपरेखा भी इसी अधिवेशन में तय की जाएगी।
लोक संस्कृति बनेगी विशेष आकर्षण
राष्ट्रीय अधिवेशन में राजस्थान की समृद्ध लोक संस्कृति की झलक भी देखने को मिलेगी। जालौर जिले की बावड़ी के प्रसिद्ध गेरीये गेर दल द्वारा पारंपरिक गेर नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। ढोल-थाली की थाप पर होने वाला यह नृत्य देशभर से आए अधिवक्ताओं को राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत से रूबरू कराएगा।
न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर ने लिया व्यवस्थाओं का जायजा
अधिवेशन की तैयारियों को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर ने गुरुवार को कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया।
इस दौरान बालोतरा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश एम. एल. सुथार ने उनका स्वागत किया। न्यायाधीश माथुर ने कॉन्फ्रेंस हॉल, भोजन पांडाल, जल मंदिर सहित अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लेकर आयोजकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए और सभी तैयारियों को अंतिम रूप देने के निर्देश दिए।
बालोतरा को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान
यह राष्ट्रीय अधिवेशन केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि विधिक जगत के लिए गंभीर मंथन और दूरदर्शी निर्णयों का सशक्त मंच बनेगा।
विधिक विषयों पर गहन विमर्श, संगठन की भावी नीतियों पर निर्णय और समृद्ध भारतीय संस्कृति की प्रस्तुतियों के माध्यम से यह अधिवेशन अधिवक्ता परिषद् की दिशा और दृष्टि को स्पष्ट करेगा।
इस राष्ट्रीय स्तर के आयोजन से बालोतरा न केवल देशभर से आए विधि विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों का केंद्र बनेगा, बल्कि अपनी आतिथ्य परंपरा, सांस्कृतिक पहचान और संगठनात्मक क्षमता के बल पर राष्ट्रीय मानचित्र पर एक नई, सकारात्मक और सशक्त पहचान भी स्थापित करेगा।
बालोतरा के लिए यह अधिवेशन विधिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से गौरव का अवसर साबित होगा।








