समदड़ी कस्बे के प्रसिद्ध ललेची माता मंदिर में शुक्रवार रात्रि को आयोजित गरबा महोत्सव ने पूरे क्षेत्र में भक्ति और उत्साह की लहर पैदा कर दी। दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु इस महोत्सव में भाग लेने पहुंचे, जहां शाम ढलते ही मंदिर प्रांगण का माहौल भक्तिमय हो उठा। पहाड़ों पर बैठकर गरबा देखने का नजारा श्रद्धालुओं के लिए अद्वितीय अनुभव रहा, जिसने आयोजन को और खास बना दिया।
माता काली के प्रवेश ने बढ़ाई महोत्सव की शोभा
रात्रि के करीब 2 बजे गरबा पंडाल में भैरव प्रवेश के साथ ही माता काली का भव्य प्रवेश हुआ। जैसे ही माता काली का आगमन हुआ, श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया। इस अनोखे दृश्य को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी, और मंदिर परिसर में भक्तिरस से ओतप्रोत वातावरण बन गया। पंडाल के चारों ओर पहाड़ियों पर बैठे श्रद्धालु इस भव्य दृश्य का साक्षात्कार कर रहे थे, जो कि महोत्सव का सबसे महत्वपूर्ण क्षण बन गया।
पूरे जोधपुर संभाग में नवरात्रि की धूम
ललेची माता मंदिर का यह गरबा महोत्सव पूरे जोधपुर संभाग का सबसे बड़ा आयोजन माना जा रहा है। न केवल समदड़ी, बल्कि बालोतरा और अन्य क्षेत्रों में भी नवरात्रि को लेकर जबरदस्त उत्साह है। शाम होते ही बच्चे, युवा और महिलाएं गरबा पंडालों में पहुंचकर गुजराती और राजस्थानी गीतों पर डांडिया रास करते हैं। इस दौरान पारंपरिक परिधान और भक्तिमय माहौल ने आयोजन की रौनक को और बढ़ा दिया।
महोत्सव का विशेष आकर्षण
समदड़ी का यह गरबा महोत्सव अपनी अद्वितीयता के लिए जाना जाता है। पहाड़ों से गरबा देखना और माता काली के दिव्य प्रवेश का अनुभव करना श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष अवसर था। इस महोत्सव ने न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि आसपास के क्षेत्रों से आए लोगों को भी आकर्षित किया है, जिससे यह आयोजन भक्ति और संस्कृति का एक बड़ा उत्सव बन गया है।
श्रद्धालुओं में अद्वितीय उत्साह
इस आयोजन में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि इस तरह का अनुभव उन्हें कहीं और नहीं मिलता। पहाड़ियों पर बैठकर गरबा देखना और मां काली के दिव्य रूप का दर्शन करना उनके लिए आस्था और आनंद का अनमोल पल था। महोत्सव का यह उत्साह आने वाले दिनों में और बढ़ने की संभावना है, जब नवरात्रि अपने चरम पर होगी।
समदड़ी में गरबा महोत्सव की धूम
ललेची माता मंदिर का यह गरबा महोत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समदड़ी और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक मिलन का भी अवसर है। श्रद्धालु पूरे हर्ष और उल्लास के साथ इस आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं, जो नवरात्रि के इस पावन पर्व को और अधिक महत्वपूर्ण बना रहा है।