सिवाना उपखंड मुख्यालय: अग्निशमन की कमी से जूझता क्षेत्र
हमीर सिंह भायल ने 2013 से सिवाना विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है और अगले 5 वर्षों तक करते रहेंगे , लेकिन इस अवधि में वह अपने क्षेत्र के लिए एक भी अग्निशमन वाहन लाने में असफल रहे हैं। इस कमी के कारण, आज भी सिवाना के निवासी आग लगने की स्थिति में बालोतरा से आने वाली फायर ब्रिगेड पर निर्भर हैं, जो अक्सर देर से पहुंचती है और तब तक सब कुछ जलकर राख हो जाता है।
• आगजनी की घटनाओं में लाखों का नुकसान
सिवाना उपखंड मुख्यालय में दमकल की कमी के कारण ग्रामीणों को प्रतिवर्ष आगजनी की घटनाओं में लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। बालोतरा से 40 से 60 किमी दूर स्थित गांवों जैसे मायलावास, मोकलसर, रमणीया, काठाड़ी, मोतीसरा, डाबली, और खण्डप सहित दर्जन भर गांवों में आग लगने पर फायर ब्रिगेड को पहुंचने में 1 से 2 घंटे का समय लग जाता है। इस दौरान, ग्रामीणों को अपने स्तर पर पानी के टैंकर और अन्य साधनों से आग पर काबू पाने की कोशिश करनी पड़ती है, जो अक्सर असफल होती है।
• नगरपालिका होने के बावजूद भी अग्निशमन विभाग का अभाव
अब जब सिवाना नगरपालिका भी बन चुकी है, तो यहां अग्निशमन विभाग की स्थापना और संपूर्ण व्यवस्था की आवश्यकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि समय-समय पर इस मुद्दे को उठाया गया है, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हो पाया है।
लंबे अरसे से सिवाना उपखंड मुख्यालय पर दमकल की कमी खल रही हैं, लेकिन उस कमी को पूरा करने की दिशा में कोई कदम नही उठाया जा रहा हैं। जिसका खामियाजा वहां की आवाम को झेलना पड़ रहा हैं। इस बारे में ग्रामीणों ने समय-समय पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों व स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को समस्या से अवगत करवाया, लेकिन समाधान अभी तक नहीं हो पाया है।
जिसके चलते ग्रामीणों में रोष व्याप्त हैं। क्षेत्र में कही भी आग लगने पर ग्रामीणों को स्वयं अपने स्तर पर आग पर काबू पाने के लिए इधर-उधर दौड़ लगानी पड़ती हैं। दमकल के अभाव में ग्रामीणों को प्रतिवर्ष आगजनी की घटना में लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा हैं, इसके बावजूद हमें बालोतरा के भरोसे रहना पड़ रहा हैं। जबकि बालोतरा से 40 से 60 किमी दूर स्थित मायलावास, मोकलसर, रमणीया, काठाड़ी,मोतीसरा, डाबली, खण्डप सहित दर्जन भर गांवो में आगजनी की घटना होने पर अग्निशमन वाहन पहुंचने में 1 से 2 घण्टे का वक्त लग जाता हैं। तब तक जलकर सब कुछ स्वाहा हो जाता हैं।
बालोतरा से बुलानी पड़ती दमकल
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उपखंड मुख्यालय सहित आसपास के गांवों में आगजनी की घटना होने पर आग पर काबू पाने के लिये बालोतरा से दमकल बुलानी पड़ती हैं। बालोतरा से आने मैं 1 घंटे से ज्यादा का समय लगता हैं। तब तक ग्रामीणों को अपने स्तर पर पानी के टैंकर और अन्य साधनों से आग पर काबू पाने की कोशिश करनी पड़ती हैं। कई बार आग विकराल होने पर अग्निशमन वाहन पहुंचने से पहले ही सब कुछ जलकर नष्ट हो जाता हैं। इससे ग्रामीणों को जान- माल की क्षति उठानी पड़ती हैं। और अंत में दमकल यहाँ पहुँच कर जली हुई राख पर पानी उड़ेलकर निकल जाती हैं।
अपने स्तर पर आग बुझाने का करते हैं जतन
सिवाना उपखंड क्षेत्र में कही भी आग लगने पर ग्रामीणों को स्वयं अपने स्तर पर आग पर काबू पाने के लिए इधर-उधर दौड़ लगानी पड़ती हैं। सिवाना उपखंड क्षेत्र में दमकल नहीं होने से ग्रामीणों को प्रतिवर्ष आगजनी की घटना में लाखों रुपये की क्षति होती हैं।
ऐसे में बालोतरा के भरोसे रहना पड़ रहा हैं। और जब तक दमकल पंहुचती हैं तब तक तबाही का मंजर उस परिवार के सामने दिखता हैं, पास में खड़े लोग आंसू जरूर पोंछ लेते हैं, और नेता मदद करने का आश्वासन देकर निकल पड़ते हैं। लेकिन इस समस्या से स्थायी निजात मिले इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा हैं।
• निष्कर्ष
सिवाना उपखंड मुख्यालय और आसपास के गांवों में अग्निशमन की कमी एक गंभीर समस्या है, जिससे वहां के निवासियों को हर साल बड़े पैमाने पर आर्थिक और सामाजिक क्षति उठानी पड़ती है। इस दिशा में ठोस कदम उठाना अत्यंत आवश्यक है ताकि ग्रामीणों को आगजनी की घटनाओं से सुरक्षित रखा जा सके और उनकी संपत्ति और जान की रक्षा हो सके।