बालोतरा के पादरू गांव में आज एक ऐतिहासिक पहल के तहत शिक्षा और जनकल्याण को लेकर बड़ा आयोजन संपन्न हुआ। सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मोतीलाल ओसवाल फाउंडेशन द्वारा शुरू किए गए बालोतरा जिला शिक्षा परिवर्तन कार्यक्रम (BDET) का विधिवत शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्षेत्र की बालिकाओं, ड्रॉपआउट छात्रों और युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और रोजगारोन्मुखी कौशल से जोड़ना है।

राज्यपाल माथुर ने कहा कि मोतीलाल ओसवाल फाउंडेशन के प्रयासों से बालोतरा जैसे ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई जा रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत अब विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर है।
मुख्यमंत्री ने शिक्षा, विकास और जनकल्याण की दिशा में उठाए ठोस कदम गिनाए:
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा से समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव है और सरकार इसे प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने बताया कि –
- राज्य में 4,000 से अधिक स्कूलों में 8,000+ स्मार्ट क्लासरूम बनाए गए हैं।
- 88,800 मेधावी विद्यार्थियों को मुफ्त टैबलेट और इंटरनेट कनेक्शन दिए गए हैं।
- ‘रीड टू लीड कैंपेन’ के तहत 42 लाख बच्चे लाभान्वित हुए।
- पुस्तकालयों को 43 लाख पुस्तकें उपलब्ध कराई गईं।

उन्होंने बताया कि बीडीईटी कार्यक्रम के अंतर्गत घर-घर सर्वे कर बालिकाओं की शिक्षा में वापसी सुनिश्चित की जाएगी और उन्हें आगे चलकर रोजगारोन्मुखी बनाया जाएगा।

बालोतरा: मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान दिखीं अव्यवस्थाएं, शिक्षा सशक्तिकरण कार्यक्रम में उमस, प्यास और अव्यवस्थित प्रबंधन से जनता परेशान
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शनिवार को बालोतरा के पादरू गांव पहुंचे, जहां उन्होंने शिक्षा सशक्तिकरण कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर सहित अनेक जनप्रतिनिधि, अधिकारी और गणमान्य नागरिक भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव और बालिकाओं को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना था। लेकिन इस गरिमामयी आयोजन में व्यवस्था की पोल खुलती नजर आई।
भारी उमस और गर्मी में बेहाल हुई स्कूली छात्राएं
मुख्यमंत्री के आगमन और शिक्षा सशक्तिकरण कार्यक्रम के आयोजन के चलते हजारों की संख्या में ग्रामीण, विद्यार्थी और अधिकारी पादरू पहुंचे। स्कूलों से बुलाए गए बच्चे-खासकर छात्राएं- कड़ी धूप और उमस भरे मौसम में घंटों इंतजार करती रहीं। कई छात्राएं पसीने से तरबतर दिखीं और कई बार गर्मी की वजह से मंचस्थ नेताओं की भाषणबाजी से अधिक बच्चे पानी और छांव की तलाश में इधर-उधर भटकते रहे।

पीने के पानी के लिए तरसे लोग, टैंकर भी नहीं थे पर्याप्त
प्यास से बेहाल ग्रामीणों और विद्यार्थियों को पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं था। आयोजन स्थल पर न तो पर्याप्त वाटर कूलर थे, न ही टैंकर या अन्य जल आपूर्ति का समुचित इंतज़ाम किया गया। कई बुजुर्गों और बच्चों को गर्मी के कारण चक्कर आने की स्थिति भी देखी गई।
नेताओं और मेहमानों को भी खटक गई अव्यवस्था, पार्किंग बनी मुसीबत
इस दौरान कई वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों और नेताओं ने पार्किंग अव्यवस्था पर नाराज़गी जताई। कार्यक्रम स्थल के बाहर और अंदर, वाहनों की अव्यवस्थित पार्किंग से ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई। कई वाहनों को आधे किलोमीटर दूर पार्क करना पड़ा, जिससे बुजुर्गों और महिलाओं को कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने में परेशानी हुई।

आम जनता ने जताई नाराजगी, आयोजकों पर फूटा गुस्सा
कार्यक्रम में आए लोग प्रशासन, आयोजक संस्थान और सहनीय नेताओं पर असंतोष जताते दिखे। कुछ लोगों ने खुले तौर पर कहा कि कार्यक्रम तो बच्चों और शिक्षा के नाम पर हुआ, लेकिन उन्हें गर्मी, प्यास और अव्यवस्था के अलावा कुछ नहीं मिला।
“अगर बच्चों को इस तरह की मुश्किलों में डालकर शिक्षा का संदेश दिया जाएगा, तो ये कैसा सुधार?” एक अभिभावक ने नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा।

सवालों के घेरे में आयोजन की तैयारी
जहां मंच से शिक्षा, विकास और सामाजिक उत्थान की बातें हो रही थीं, वहीं ज़मीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर दिखा रही थी। सवाल उठ रहे हैं कि जब मुख्यमंत्री और राज्यपाल जैसे वरिष्ठ अतिथियों का दौरा तय था, तब आयोजन की तैयारी इतनी कमजोर कैसे रही?
भव्यता बनाम व्यवस्थागत विफलता
यह कार्यक्रम निश्चित रूप से उद्देश्य और विजन के लिहाज से बड़ा था, लेकिन प्रबंधन और मूलभूत व्यवस्थाओं की विफलता ने इसकी गरिमा को प्रभावित किया। आयोजकों को चाहिए था कि वे भीड़ नियंत्रण, जल प्रबंधन, छाया की व्यवस्था, बच्चों की सुरक्षा और ट्रैफिक पार्किंग जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर पूर्व तैयारी रखते।

अन्त्योदय संबल पखवाड़ा: जनता को राहत और अधिकार
शिविर के तहत सरकार द्वारा निम्नलिखित जनकल्याण कार्य किए जा रहे हैं:
- नामांतरण, भूमि विवाद, रास्ते, जलापूर्ति, बिजली मरम्मत, आयुष्मान कार्ड, खाद्य सुरक्षा जैसे प्रकरणों का निस्तारण।
- पशु जांच, बीमा, टीकाकरण, मंगला पशु बीमा जैसी सेवाएं।
- 10 हजार गांवों में BPL परिवारों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने का अभियान।
मुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक 105 करोड़ रुपये की कृषि सहायता, 50 MVA ट्रांसफार्मर, और बालोतरा में बफर स्टोरेज, कन्या महाविद्यालय निर्माण आदि जैसे महत्वपूर्ण कार्य स्वीकृत किए गए हैं। बालोतरा जिले के समग्र विकास हेतु उचित बजट आवंटन किया गया है।

युवाओं को नौकरी, महिलाओं को सशक्तिकरण, किसानों को सम्मान
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि पूर्व सरकार सिर्फ वादे करती रही जबकि उनकी सरकार ने 1.5 साल में ही 69,000 युवाओं को सरकारी नियुक्ति पत्र दिए। आने वाले समय में 4 लाख नौकरियां देने का वादा भी किया गया।
- महिलाओं के लिए राजीविका से सशक्तिकरण,
- किसानों के लिए बोनस और एमएसपी पर खरीद की सुविधा,
- मजदूरों और गरीबों के लिए पक्के मकान, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा की गारंटी।
लाभार्थियों को प्रमाण पत्र व चैक वितरित
शिविर में मातृ वंदना योजना, राजश्री योजना, लाडो प्रोत्साहन योजना, निक्षय पोषण किट, मकान पट्टे, व्हीलचेयर, पशु बीमा, एनएफएसए कार्ड जैसे लाभों का वितरण राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने स्वयं किया।

प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत, मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, उद्योग राज्यमंत्री के.के. विश्नोई, सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल, विधायक अरुण चौधरी, मोतीलाल ओसवाल, शैलेष लोढ़ा सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद रहे।