बालोतरा।
22 दिसंबर 2024 को बालोतरा न्याय क्षेत्र में आयोजित चतुर्थ राष्ट्रीय लोक अदालत ने एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया, जो कानून और मानवता का एक सुंदर मेल था। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार आयोजित इस लोक अदालत में एक लंबे समय से चल रहे वैवाहिक विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान किया गया।
पारिवारिक न्यायालय बालोतरा में न्यायाधीश खगेन्द्र कुमार शर्मा की अध्यक्षता में पति-पत्नी के बीच चल रहे इस विवाद को सुलझाया गया। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों को यह समझाया कि विवादों का समाधान अदालत की जटिल प्रक्रिया के बजाय आपसी सुलह-समझौते से शीघ्र और सौहार्दपूर्ण तरीके से किया जा सकता है।
रिश्तों की जीत को प्राथमिकता
इस मामले में दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि जीत-हार से अधिक महत्वपूर्ण रिश्तों को बचाना है। न्यायाधीश के मार्गदर्शन में दोनों ने अपने मतभेद भुलाकर एक-दूसरे को माला पहनाई और नए सिरे से जीवन शुरू करने का संकल्प लिया। यह घटना लोक अदालत की भावना और इसके उद्देश्य को सार्थक रूप से दर्शाती है।
संदेश: समाधान है सुलह-समझौता
यह मामला न केवल बालोतरा न्याय क्षेत्र बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है कि विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है। लोक अदालतें न्याय प्रणाली में एक ऐसी पहल हैं, जहां विवादों को जल्दी, सरल और मैत्रीपूर्ण तरीके से सुलझाया जाता है।
लोक अदालत की भूमिका
इस सफलता ने साबित किया कि लोक अदालतें न केवल कानूनी मामलों को हल करने का माध्यम हैं, बल्कि यह रिश्तों को जोड़ने का जरिया भी बन सकती हैं। यह पहल समाज में वैवाहिक विवादों और अन्य मामलों के समाधान के लिए एक नई दिशा प्रदान करती है।
यह लोक अदालत का उदाहरण यह सिखाता है कि असली जीत कानून की लंबी प्रक्रिया से नहीं, बल्कि रिश्तों को बचाने और दिलों को जोड़ने से होती है।