भारत का पासपोर्ट विश्व रैंकिंग में पीछे क्यों जा रहा है? — जानिए पूरी रिपोर्ट

Media Desk

नई दिल्ली:
भारत का पासपोर्ट एक बार फिर दुनिया की सबसे ताक़तवर पासपोर्ट रैंकिंग में पिछड़ गया है। हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 के अनुसार भारत इस बार 199 देशों की सूची में 85वें स्थान पर है। पिछले साल की तुलना में भारत पांच पायदान नीचे फिसल गया है। यह रैंकिंग दुनिया के उन देशों की होती है जिनके नागरिक सबसे अधिक देशों में वीज़ा-मुक्त यात्रा कर सकते हैं।

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जहां सिंगापुर के नागरिक 193 देशों में बिना वीज़ा यात्रा कर सकते हैं, वहीं भारतीय पासपोर्ट धारकों को केवल 57 देशों में ही यह सुविधा है। यह स्थिति तब है जब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।


📉 भारत की रैंकिंग लगातार स्थिर लेकिन कमज़ोर

पिछले एक दशक में भारत की पासपोर्ट रैंकिंग 76 से 90 के बीच झूलती रही है।

  • 2014: 76वां स्थान (52 वीज़ा-मुक्त देश)
  • 2015: 85वां स्थान
  • 2023-24: 80वां स्थान (62 वीज़ा-मुक्त देश)
  • 2025: 85वां स्थान (57 वीज़ा-मुक्त देश)
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रैंकिंग गिरने का अर्थ यह नहीं है कि भारत की स्थिति बदतर हो गई है, बल्कि अन्य देशों ने तेज़ी से यात्रा समझौते करके अपने नागरिकों को अधिक वीज़ा-मुक्त पहुंच दिलाई है।

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🌍 दुनिया में वीज़ा-फ़्री ट्रैवल की प्रतिस्पर्धा बढ़ी

हेनले एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट बताती है कि साल 2006 में औसत 58 देश वीज़ा-मुक्त यात्रा की अनुमति देते थे, जबकि 2025 में यह औसत 109 तक पहुंच गया है।
अर्थात्, दुनिया के देशों के बीच मोबिलिटी प्रतिस्पर्धा बढ़ी है — जो देश अपने नागरिकों के लिए अधिक देशों से वीज़ा-फ़्री समझौते करते हैं, वही इंडेक्स में ऊपर आते हैं।

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उदाहरण के तौर पर:

  • चीन ने पिछले दशक में अपने नागरिकों के लिए वीज़ा-मुक्त देशों की संख्या 50 से बढ़ाकर 82 कर दी है।
  • इसी अवधि में चीन की रैंकिंग 94वें से बढ़कर 60वें स्थान पर पहुंची है।
  • वहीं भारत ने वीज़ा-मुक्त देशों की संख्या 52 से बढ़ाकर 57 की, लेकिन रैंकिंग में सुधार नहीं हुआ।

🧭 क्यों पिछड़ रहा है भारतीय पासपोर्ट?

भारत के पासपोर्ट की स्थिति कमजोर रहने के कई कारण हैं:

  1. राजनयिक समझौतों की कमी:
    भारत ने पश्चिमी और यूरोपीय देशों के साथ यात्रा संबंधी समझौते सीमित किए हैं।
  2. वीज़ा धोखाधड़ी और सुरक्षा चिंताएं:
    2024 में दिल्ली पुलिस ने पासपोर्ट-वीज़ा फर्जीवाड़े के मामलों में 203 लोगों को गिरफ़्तार किया था। यह भारतीय पासपोर्ट की विश्वसनीयता को प्रभावित करता है।
  3. धीमी वीज़ा और इमिग्रेशन प्रक्रिया:
    भारत की वीज़ा प्रणाली अब भी जटिल और धीमी मानी जाती है। अन्य देशों की तुलना में ऑनलाइन प्रक्रिया और सत्यापन में समय अधिक लगता है।
  4. प्रवासियों की नकारात्मक छवि:
    कई भारतीय प्रवासी वीज़ा की अवधि से ज़्यादा समय तक विदेशी देशों में रुकते हैं, जिससे उन देशों में भारत की छवि प्रभावित होती है।
  5. आर्थिक और राजनीतिक कारण:
    कुछ देश इमिग्रेशन को लेकर सतर्क हैं। भारत की जनसंख्या, श्रमिक पलायन और राजनीतिक संवेदनशीलता भी निर्णयों को प्रभावित करती है।
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💳 ई-पासपोर्ट से उम्मीदें

भारत ने हाल ही में ई-पासपोर्ट (Electronic Passport) योजना शुरू की है। इसमें एक सुरक्षित माइक्रोचिप होती है, जिसमें धारक की बायोमेट्रिक जानकारी दर्ज रहती है।
पूर्व राजनयिक अचल मल्होत्रा का मानना है कि “ई-पासपोर्ट सुरक्षा और इमिग्रेशन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाएगा और भविष्य में भारत की रैंकिंग को बेहतर बना सकता है।”


🤝 क्या करना होगा भारत को?

विशेषज्ञों के अनुसार भारत को पासपोर्ट रैंकिंग सुधारने के लिए तीन बड़े कदम उठाने होंगे:

  1. राजनयिक सक्रियता बढ़ाना:
    अधिक देशों से वीज़ा-फ़्री और वीज़ा-ऑन-अराइवल समझौते करने होंगे।
  2. सुरक्षा मानकों को मज़बूत बनाना:
    फर्जी पासपोर्ट और वीज़ा धोखाधड़ी पर सख्त नियंत्रण ज़रूरी है।
  3. ग्लोबल इमेज सुधारना:
    भारत को “विश्वसनीय यात्री” देश के रूप में अपनी छवि मज़बूत करनी होगी, ताकि अन्य देश भारतीय यात्रियों पर भरोसा कर सकें।

📊 विश्व के शीर्ष पासपोर्ट (2025)

रैंकदेशवीज़ा-मुक्त देश
1सिंगापुर193
2दक्षिण कोरिया190
3जापान189
12अमेरिका185
85भारत57

🔍 निष्कर्ष

भारत की आर्थिक प्रगति के बावजूद उसका पासपोर्ट रैंकिंग में पिछड़ना राजनयिक सक्रियता, सुरक्षा चिंताओं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का मिश्रित परिणाम है।
हालांकि ई-पासपोर्ट और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय संपर्क भारत की स्थिति को आने वाले वर्षों में सुधार सकते हैं। लेकिन जब तक भारत अपने नागरिकों के लिए अधिक वीज़ा-फ़्री समझौते नहीं करता, तब तक “मजबूत भारतीय पासपोर्ट” सिर्फ़ एक सपना ही रहेगा।


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By Media Desk Media Team
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