- भारत ने जी20 की अध्यक्षता के लिए 8000 करोड़ से अधिक का खर्च किया है।
- यह बजट में निर्धारित 990 करोड़ रुपये से चार गुना अधिक है।
- खर्च का अधिकांश हिस्सा दिल्ली के सौंदर्यीकरण और सुरक्षा व्यवस्था पर हुआ है।
- सरकार का कहना है कि अधिकांश खर्च स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर में हुआ है, जो भविष्य में भी उपयोग किया जा सकेगा।
- विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने जी20 की अध्यक्षता को एक अवसर के रूप में इस्तेमाल कर दिखावे के लिए खर्च किया है।
भारत ने 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी20 की अध्यक्षता की। इस दौरान, भारत ने कई महत्वपूर्ण बैठकें और कार्यक्रमों का आयोजन किया। इन आयोजनों को सफल बनाने के लिए भारत ने भारी-भरकम खर्च किया।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने जी20 की अध्यक्षता के लिए 8000 करोड़ से अधिक का खर्च किया है। यह बजट में निर्धारित 990 करोड़ रुपये से चार गुना अधिक है।
खर्च का अधिकांश हिस्सा दिल्ली के सौंदर्यीकरण और सुरक्षा व्यवस्था पर हुआ है। दिल्ली में कई सड़कों, चौराहों और अन्य सार्वजनिक स्थानों का सौंदर्यीकरण किया गया है। इसके अलावा, दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था को भी बढ़ाया गया है।
सरकार का कहना है कि अधिकांश खर्च स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर में हुआ है, जो भविष्य में भी उपयोग किया जा सकेगा। सरकार का कहना है कि जी20 की अध्यक्षता के लिए किए गए खर्च से भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा मिला है।
विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने जी20 की अध्यक्षता को एक अवसर के रूप में इस्तेमाल कर दिखावे के लिए खर्च किया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने इस खर्च को कम किया जाना चाहिए था।
जी20 की अध्यक्षता एक महत्वपूर्ण वैश्विक मंच है। भारत ने इस अवसर का उपयोग करके अपने वैश्विक नेतृत्व को बढ़ावा दिया है। हालांकि, जी20 की अध्यक्षता के लिए किए गए खर्च की आलोचना भी हुई है।
कुछ लोगों का मानना है कि सरकार ने इस खर्च को कम किया जाना चाहिए था। उनका कहना है कि इस खर्च का इस्तेमाल गरीबों और जरूरतमंदों के लिए किया जा सकता था।
दूसरी ओर, कुछ लोगों का मानना है कि यह खर्च उचित था। उनका कहना है कि इस खर्च से भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा मिला है।
- भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तनाव चरम पर है।
- दोनों देशों के बीच खालिस्तानी समर्थक संगठनों की गतिविधियों को लेकर विवाद है।
- कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार पर खालिस्तानी आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।
- भारत ने ट्रूडो के आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
- दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है।
भारत और कनाडा के बीच संबंधों में हाल के दिनों में तनाव बढ़ गया है। दोनों देशों के बीच खालिस्तानी समर्थक संगठनों की गतिविधियों को लेकर विवाद है।
जून 2023 में, कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के बाद, भारत ने कनाडा से खालिस्तानी समर्थक संगठनों की गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार पर खालिस्तानी आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भारत में खालिस्तानी आतंकवादियों को संरक्षण दिया जा रहा है।
भारत ने ट्रूडो के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। भारत सरकार ने कहा है कि वह खालिस्तानी आतंकवाद को कड़ी से कड़ी कार्रवाई से रोक रही है।
तनाव बढ़ने के कारण, दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। भारत ने कनाडा के उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया है, जबकि कनाडा ने भारत के उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया है।
इस तनाव से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर खतरा पैदा हो गया है। दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है।
विश्लेषण:
भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ने के कई कारण हैं। एक कारण यह है कि दोनों देशों के बीच खालिस्तानी समर्थक संगठनों की गतिविधियों को लेकर मतभेद हैं। दूसरा कारण यह है कि दोनों देशों के बीच घरेलू राजनीति में दखल देने के आरोप हैं।
अंततः, यह तय करना जनता को है कि जी20 की अध्यक्षता के लिए किए गए खर्च उचित थे या नहीं।