भारत का लोकप्रिय माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ‘कू’ 3 जुलाई, 2024 को बंद हो गया। यह प्लेटफॉर्म ट्विटर (जिसे अब एक्स नाम से जाना जाता है) को टक्कर देने के लिए 2020 में लॉन्च किया गया था।
एलन मस्क के माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) को टक्कर देने के लिए लॉन्च किया गया भारतीय माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo अब बंद हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई मंत्रियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले इस प्लेटफॉर्म की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी थी। हालांकि, कंपनी के फाउंडर्स अपरामेय और मयंक ने बताया कि पार्टनरशिप की बातचीत फेल होने और टेक्नोलॉजी कॉस्ट बढ़ने के कारण Koo को बंद करने का निर्णय लिया गया।
Koo के सह-संस्थापकों ने कहा कि यह प्लेटफॉर्म 3 जुलाई, 2024 से परिचालन बंद कर देगा। मार्च 2020 में लॉन्च किया गया Koo, कोविड लॉकडाउन के दौरान शुरू हुआ था और इसे 60 मिलियन से अधिक डाउनलोड्स और 8000+ VIP खाते मिले थे। परंतु फंडिंग मार्केट की खराब स्थिति के कारण कंपनी को बंद करने का फैसला करना पड़ा। Koo ने अपने उपयोगकर्ताओं के प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद कहा और अपनी छोटी पीली चिड़िया को अलविदा कहने का समय आ गया है।
कू के सह-संस्थापक, अप्रमेय राधाकृष्ण और मयंक बिदवतका ने एक वेबसाइट पोस्ट में घोषणा करते हुए कहा कि वेबसाइट पर लिखा कि “भारी मन से” वे यह सूचित कर रहे हैं कि Koo अब बंद हो जाएगा। उन्होंने बताया कि प्लेटफॉर्म को बंद करने के पीछे दो मुख्य कारण हैं:
1. साझेदारी वार्ता विफल:
- Koo के संस्थापकों ने कई बड़ी इंटरनेट कंपनियों और मीडिया समूहों के साथ साझेदारी की संभावना तलाशी, लेकिन उन्हें सकारात्मक परिणाम नहीं मिले।
- फंडिंग में कमी और संभावित साझेदारों की अनुपस्थिति ने प्लेटफॉर्म को चलाना मुश्किल बना दिया।
2. उच्च प्रौद्योगिकी लागत:
- एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को चलाने के लिए, विशेष रूप से बड़े पैमाने पर, उच्च प्रौद्योगिकी लागत शामिल होती है।
- Koo को बनाए रखना और उसका विस्तार करना कंपनी के लिए आर्थिक रूप से टिकाऊ नहीं रहा।
कू की यात्रा:
- मार्च 2020 में लॉन्च हुआ Koo, भारत में ‘आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज’ जीतने वाला पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म था।
- इसने शुरुआती दौर में ही काफी लोकप्रियता हासिल की, खासकर उन उपयोगकर्ताओं के बीच जो एक स्वदेशी माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म चाहते थे।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई मंत्रियों ने भी Koo का इस्तेमाल किया।
- 4 सालों में, Koo ने 60 मिलियन से अधिक डाउनलोड, 8000 से अधिक वीआईपी खाते और 100 से अधिक प्रकाशक खातों को देखा।
बंद होने का प्रभाव:
- Koo के बंद होने से लाखों उपयोगकर्ता प्रभावित हुए हैं जिन्होंने प्लेटफॉर्म पर अपनी आवाज उठाई और विचारों का आदान-प्रदान किया।
- यह भारत में सोशल मीडिया लैंडस्केप पर भी प्रभाव डालता है, क्योंकि यह एक्स (Twitter) के लिए एकमात्र प्रमुख प्रतिस्पर्धी था।
निष्कर्ष:
Koo का बंद होना उन कई स्टार्टअप्स के लिए एक चेतावनी है जो प्रतिस्पर्धी बाजारों में सफल होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि भारी निवेश और मजबूत रणनीति के बिना, यहां तक कि लोकप्रिय प्लेटफॉर्म भी टिकाऊ नहीं रह सकते हैं।