लूनी नदी में पानी आ गया है, लेकिन यह बारिश का पानी नहीं है। यह पाली शहर की औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला रासायनिक प्रदूषित पानी है!
यह कैसे हुआ? पाली शहर की फैक्ट्रियों से निकलने वाला रासायनिक पानी को अवैध नेहड़ा बांध में जमा किया गया था । सिंचाई विभाग ने बांध के गेट खोलने के लिए आये , लेकिन किसानों के विरोध के बाद उन्हें वापस लोटना पड़ा । कुछ दिनों बाद, चोरी-छिपे बांध के गेट खोलकर रासायनिक पानी को बांडी नदी में छोड़ा गया फिर बांडी नदी से पानी लूनी नदी में आ गया . लेकिन इस बार बड़ी मात्रा में प्रदूषित पानी आने के कारण हमारी जमीन बंजर हो रही है. कृषि कुएं तो पहले ही खराब हो चुके हैं. इस मामले को लेकर एनजीटी ने पाली प्रशासन को फटकार लगाते हुए कार्यवाही के भी निर्देश दिए थे, लेकिन हालात सुधरने का नाम नही ले रहे.
यह मानव निर्मित आपदा है! रासायनिक पानी हर बार छोड़ा जाता है, जिससे नदी के किनारे के 64 गाँव और कस्बे की कृषि भूमि बंजर हो गई है, कुएँ प्रदूषित हो गए हैं, और भूमिगत जल में भी रासायनिक ज़हर घुल गया है।
पर्यावरण प्रदूषण कर के फैक्ट्रियों संचालक से करोड़ों रुपये का मुनाफा हो रहा है, जिसका हिस्सा नेताओं और अधिकारियों को मुंह बंद करने के लिए दिया जा रहा है। जिससे कार्यवाही भी नहीं होती है। कही बार तो जुर्माने की राशि भी माफ़ करवा दी जाती है
इसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है। हर तीसरे व्यक्ति को कैंसर & श्वास रोग और चर्म रोग हो रहा है। यह रासायनिक पानी बालोतरा जिले के समदड़ी तक पहुंच गया है, जो पाली से 83 किलोमीटर से अधिक दूर है।
जिला प्रशासन अब नींद से जागा है, जब सैकड़ों गांवों की कृषि भूमि बंजर, हजारों कुएं दूषित, और लाखों हेक्टेयर भूमि बर्बाद हो चुकी है। जिला कलेक्टर आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन मदद की कोई गुंज सुनाई नहीं दे रही है।
हमें अपनी पुलिस पर गर्व है जो चित्तौड़ जिले से आने वाली गाड़ियों में क्या आ रहा है यह पता लगा लेती है। लेकिन हमारे जिला प्रशासन को यह नहीं पता कि 85 किलोमीटर दूर से हमारे जिले में प्रदूषित पानी आ रहा है।
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अब जिला प्रशासन आमजन को आश्वासन दे रहा है, लेकिन क्या फायदा?
हमें जिला प्रशासन को बताना होगा कि हमारा बालोतरा जिला कूड़ेदान नहीं है! जोधपुर और पाली का प्रदूषित पानी बालोतरा जिले में छोड़ा जाए, यह स्वीकार्य नहीं है।
इस मुद्दे पर सुर्ख़ियों में लाना जरूरी है ताकि सरकार और जनता का ध्यान इस ओर आकर्षित हो सके।
हमें मिलकर इस मानव निर्मित आपदा से लड़ना होगा और अपनी मिट्टी और पानी को बचाना होगा।