तस्कर की गिरफ्तारी की रोमांचक कहानी
बाड़मेर के चंदन नगर में पुलिस ने शनिवार रात एक साहसी और चतुराई भरी योजना के तहत शातिर तस्कर जसाराम को गिरफ्तार कर लिया। तस्कर जसाराम, जो बायतु का रहने वाला है, को उसके तीन सहयोगियों के साथ पकड़ा गया। पुलिस ने इस ऑपरेशन को फिल्मी अंदाज में अंजाम दिया।
बाड़मेर के चंदन नगर का मामला
बाड़मेर के चंदन नगर में तस्कर जसाराम को पकड़ने के लिए पुलिस ने अनोखी तरकीब अपनाई। पुलिस ने उसके घर के पास किराए पर कमरा लिया और उसके परिवार पर नजर रखनी शुरू की। तस्कर का बेटा अपने पिता के बिना खाना नहीं खाता था, जिससे पुलिस को शक हुआ और उन्होंने उसकी पत्नी का पीछा किया। इसके बाद पुलिस को पता चला कि जसाराम कहाँ छुपा है।
आईजी विकास कुमार का बयान
आईजी विकास कुमार ने बताया कि तस्कर जसाराम उर्फ जसवंत उर्फ जसू उर्फ जसिया (34) बायतु का रहने वाला है। साथ ही उसके ड्राइवर जसाराम (42) पुत्र जेताराम, मैकेनिक हनुमानराम (34) पुत्र मुलाराम, और पर्वतसिंह (32) पुत्र बंशीसिंह को भी गिरफ्तार किया गया है। आरोपी ने अपने घर और गैराज के चारों तरफ सीसीटीवी कैमरे लगाए हुए थे और दो दिन पहले धोरीमन्ना में डोडा-पोस्त की सप्लाई की थी।
पत्नी का पीछा कर पकड़ा तस्कर
पुलिस को जानकारी मिली थी कि तस्कर का बेटा अपने पिता के हाथ से ही खाना खाता है। पुलिस ने इसके आधार पर जसाराम की पत्नी का पीछा किया। पत्नी रोजाना अपने बेटे को लेकर गैराज में जसाराम को खाना देने जाती थी। इसी से पुलिस को जसाराम के ठिकाने का पता चला।
जोधपुर रेंज की टीम की घेराबंदी
शनिवार रात को पुलिस ने ड्रोन से गैराज की जांच की और चारों तरफ से घेराबंदी की। पुलिस की फिल्मी अंदाज में घेराबंदी के बाद आरोपियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने मौके से 2 पिस्तौल, 63 कारतूस, 6 मोबाइल, 2 डोंगल, स्कार्पियो और फॉर्च्युनर कार जब्त की। आरोपी ने 6 मोबाइल जलाने की कोशिश की थी, जिसे भी पुलिस ने बरामद किया।
तस्करी का इतिहास
आरोपी जसाराम ने 2005 से मादक पदार्थों की तस्करी शुरू की। उसने चितौड़गढ़, प्रतापगढ़, जोधपुर, बाड़मेर और आसपास के जिलों में तस्करी की। एक ट्रिप में करीब एक लाख रुपए की कमाई होती थी और ड्राइवर को 10-15 हजार रुपए दिए जाते थे। जसाराम पर सैकड़ों मुकदमे दर्ज हैं और वह कई बार पुलिस पर फायर करके भाग चुका है।
इनाम और अभियोग
आईजी के अनुसार, जसाराम पर पाली, हनुमानगढ़, और देवगढ़ राजसमंद में फायरिंग करके भागने के अभियोग दर्ज हैं। उसके ऊपर जोधपुर रेंज से 40 हजार, पाली रेंज से 50 हजार और राजसमंद से 10-15 हजार रुपए का इनाम घोषित है।
इस पूरी कार्रवाई ने पुलिस की चालाकी और तस्कर की शातिरता को उजागर किया है, जिसमें पुलिस ने अपनी बुद्धिमत्ता और धैर्य से अपराधियों को पकड़ा।
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- ऑपरेशन “मोना” ‘Most Wanted in Narcotics’ के साईक्लोनर की तूफानी कार्यवाही
- विकास कुमार, महानिरीक्षक पुलिस, जोधपुर रेंज, जोधपुर ने बताया कि कुख्यात ईनाम अपराधी जस्साराम उर्फ जसवन्त उर्फ जस्सु उर्फ जसीया पर कुल एक लाख दस हजार रूपये का ईनाम घोषित है के विरूद्ध रेन्ज स्तरीय साईक्लोनर सेल की ताबड़तोड़ कार्यवाही
- कैसे दिया कार्यवाही को अंजाम ?
- ऐसे अपराधी के अपराध के पटाक्षेप की कहानी हैं जो करीब 15-20 सालो से निर्बाध, निष्कंटक, निरंकुश रहकर अपनी स्वैच्छा से मादक द्रव्यो की तस्करी करता रहा, जिस पर कभी पुलिस हाथ नहीं डाल पायी, 15 से 20 वर्षों से लगातार इसी काम को करता रहा।
- कभी पुलिस के पकड़ में नहीं आया, इस बार पहली बार पुलिस के चंगुल में फंसा हैं इसके साथ ही इसके आपराधिक केरियर का पटाक्षेप होता है।
- यह कहानी है उस व्यक्ति की जिसने बड़े होने से पहले बड़े होने की ख्वाहिश पाल ली थी, बड़े
- पैसे कमाये, बड़े समय तक फी घुमा और अब बड़े घर की यात्रा करेगा। इस अपराधी के कई सारे नाम हैं जसराज उर्फ जसवंत उर्फ जसाराम उर्फ जसिया।
- जसाराम करीब 40 वर्ष का हैं बायतु का निवासी है बहुत ही सामान्य घर में पैदा हुआ सामान्य घर में पला बड़ा युवक अभी मसे भिगी हुई ही थी कि उसे कमाने की शौक चढ़ा। वह 12 वीं कक्षा पास करने के बाद ही कमाने लगा।
- केयर्न कम्पनी में ड्राईवरी का धन्धा शुरू किया मन नहीं रमा, अवैध शराब का धन्धा शुरू किया उसमें भी ज्यादा कमाई नही दिखी तब मादक पदार्थ तस्करी में घुसा।
- एक गुरू (गॉडफादर) बनाया। पहले गॉडफादर के पास काम किया, ड्राईवर बनके और ड्राईवरी के बाद गॉडफादर के साथ पार्टनरशीप, क्योकि ड्राईवरी में थोड़े पैसे प्रति ट्रिप मिलते थे उसके बाद उसी गॉडफादर के साथ पार्टनरशीट की उसके बाद लगा की अपना धन्धा अकेला ही चलना चाहिये फिर अकेला धन्धा शुरू किया।
- फिर जब धीरे-धीरे नफासत और रईसी की आदत लगी मालिक बनके इस धन्धे को चलाया। यात्रा चितोड़ प्रतापगढ़ से जोधपुर बाड़मेर व बाड़मेर के आसपास बड़े लम्बे समय तक लगातार चलती रही। मादक द्रव्यो एवं मादक पदार्थो की तस्करी आपूर्ति का व्यापार चलता रहा।
- इस व्यक्ति पर पहला मुकदमा 2005 में हुआ, एनडीपीएस का और उसमें वो गिरफतार हुआ। उसके बाद 2010 से लेकर आज तक दर्जनों मुकदमें हैं। कभी भी गिरफतारी नहीं हो सकी। कुछ प्रकरणों में कोर्ट में चालान पेश किया गया धारा 299 सीआरपीसी में रखते हुये। कुछ प्रकरण जैर तफतीस है। करीब एक दर्जन प्रकरण तो पुलिस की जानकारी में आ गये। इसके अलावा बहुत सारे प्रकरण संभव है कि सामने आये।
- जोधपुर रेंज से, 50 हजार पाली रेंज एवं 20 हजार का ईनाम राजसंमद से हैं इसके अलावा भी दो जगहो पर इस पर ईनाम हो सकता हैं।
- तीन बार ये पुलिस पर फायर करके गायब हो चुका हैं जिसमें एक बार गुड़ाएन्दला, पाली में, एक बार टिब्बी हनुमानगढ़ में और देवगढ़ राजसमन्द में पुलिस पर फायर किया और बड़े आराम से नाकाबन्दी तोड़कर या पुलिस की दबिश से बचकर निकल गया।
- तीन बार पुलिस पर फायर करने, पुलिस के पकड़ में न आने से इसका मन काफी खुलता गया और इसने पुरे ईलाके में मादक पदार्थ दृव्यों की तस्करी का एक बहुत बड़ा नेटवर्क और बहुत बड़ा संघ्याल फैला रखा था और लगातार ये काम चल रहा हैं।
- बहुत दिनो से इस पर पुलिस की नजर थी रेंज पुलिस ने जब इसे बड़े कुख्यात अपराधी का नाम सामने आया तो ऑपरेशन मोना के नाम से इसके विरूद्ध मुहिम छेड़ी। मोना यानि मोस्ट वांटेड इन
- नारकोटिक्स और एक जस्सी जस्सी नाम का कोई सिरियल हुआ करता था जिसमें मोनासिंह उसकी एक्ट्रेस थी।
- करीब दो महिने से पुलिस इस पर निगाह रख रखी थी परन्तु ये इतना शातिर अपराधी था, कि न ही ये मोबाईल युज करता था कि न टेक्निकली लगातार ठहरता था। न ही किसी को अपने धन्धे के बारे में जल्दी पता चलने देता था। एक छलावे की तरह आता था और सपने की तरह गायब हो जाता था।
- उस तक पहुंचना बड़ा मुश्किल था पर कहते है कि कानून के हाथ बड़े लम्बे होते हैं। हमने भी अपना हाथ लम्बा फैलाया तो एक सुत्र हाथ लगा। इसकी पत्नी ने किसी व्यक्ति को कहा कि मेरा बेटा खाना नहीं खाता अपने पिता के हाथ से ही खाता हैं।
- उसी समय हम लोगो के आंखो में चमक आ गयी। बेटा पिता के हाथो खाता है और पिता हमारे हाथो जेल की हवा खायेगा। यह सुत्र था जहां से हमने शुरू किया।
- इसकी पत्नी जहां पर रहती है वहां पर किरायेदार बनकर हमारे दो व्यक्ति रहे। लगातार इसके परिवार पर निगरानी रखी।
- एक पेटर्न सामने आया हर कुछ दिनों पर शाम में रात में पत्नी निकलती हैं। किसी जगह पर जाती है और फोन ऑफ रखती हैं। धीरे-धीरे हमने पीछा किया जो एक जगह पता चली जहां पर वो जाती हैं। वहां पर लग्जरी गाड़ी होती है जाती है, रूकती है समय बिताती है फिर वापस आती हैं और फोन ऑन करती हैं।
- हमारी टीम सतर्क थी। तीन बार पुलिस पर फायरिंग कर चुका था और काफी दुर्दान्त अपराधी था इसके हिसाब से हमारे सारे कमाण्डो, साईक्लोनर टीम, टॉरमेडो टीम, स्ट्रांग टीम बुलेट प्रुफ जैकेट, हेलमेट अत्याधुनिक हथियारो के साथ आयी। एक बाड़ा था जो संदिग्ध था। उस बाड़े को हमने घेर लिया। पहले ड्रोन से चेक किया तो यह आया कि कुछ लग्जरी गाड़िया लगी हुई थी कुछ लोगो की मुमेन्ट है उसमें।
- उस आधार पर उसको घेर लिया हमने और एकदम फिल्मी अंदाज में घेराबन्दी करने के बाद हमारे कमाण्डो केम्पस में कुद गये। कुदकर सुरक्षित स्थलो पर उन्होंने मोर्चा ले लिया। फिर हमने इसको ललकारा। आगाह किया कि आपको चारो तरफ से घेर लिया गया हैं। आप आत्मसमर्पण कर दे अन्यथा परिणाम आप स्वयं भुगतेंगे।
- छत पर दो व्यक्ति पिस्टल लेकर निकले परन्तु इन्होने चारो तरफ का माहौल देखा, पुलिस की घेराबन्दी देखी, साईक्लोनर, टॉरमेडो, स्ट्रांग तीनों टीमे एवं साथ में थाना रीको की टीम भी बुला ली गयी। उनके समझ में आ गया कि बचके निकलना मुश्किल होगा। गेट भी हमने घेर लिया था। स्वयं को चारो तरफ से पुलिस से घिरा देखकर पिस्टल जमीन पर रखकर आत्मसमर्पण कर दिया।
- पकड़े जाने पर पता चला कि वो दुर्दान्त अपराधी जस्साराम था, उसके साथ एक और जसाराम नाम का ड्राईवर मिला जो कि थाने का हिस्ट्रीशीटर है अन्दर जाकर सारी चीजे देखने के बाद हमारी आंखे खुली की खुली रह गयी। ऐसो आराम का सारा सामान करके वो एक रिहायसी स्थल ऐसा बनाया गया था जहां ऐसो आराम
- की सारी वस्तुऐं थी। फिज, एसी, वाटर प्युरीफायर और सब कुछ। उसके साथ वहां एक पुरा गैरेज बना रखा था। दो मैकेनिक भी साथ में पकड़े गये जो गाड़ियो के नम्बर प्लेट बदलने का काम, गाड़ियो को मोडिफाई करने का काम, गाड़ियों के इंजन नम्बर चैसिस नम्बर बदलने का काम, गाड़ियों की सीटे खोलने का काम, गाड़ियों के बम्पर लगाने का काम और टायर बदलने का काम। उस गैराज में 7-8 नये टायर मिले हैं। जो तस्करी के वाहन के लिये उपयोग में लेते है ताकि नये टायर के साथ भागने में आसानी हो। मरम्मत का सारा सामान मिला।
- इनके कब्जे से दो पिस्टल मय मैगजीन, 63 जिन्दा कारतुस बरामद हुये। पुलिस की सूचना आते ही टीमो की सूचना मिलते ही इन्होंने 6 मोबाईल जला दिये। जले हुये 6 मोबाईल एवं 6 सही हालत में मोबाईल मिले हैं। दो डोंगल मिले है जिसका इस्तेमाल इन्टरनेट यूज करने के लिये होता था। 2021 मॉडल की एस-11 स्कॉर्पियों मिली है जो तस्करी में उपयोग होती थी और एक संदिग्ध फॉरच्यूनर गाड़ी मिली है।
- पुत के पांव पालने में नजर आते है शराब की अवैध तस्करी से शुरू करके ड्राईवरी करते हुये मालिक बनना फिर मालिक बनके धन्धे का सरगना बनना। इस स्तर पर इस व्यक्ति की जमी रही हैं।
- जैसा पूछताछ में इसने बताया प्रतिट्रीप एक लाख रूप्ये की कमाई हो जाती थी। चार पांच दिन में चितोड़ से इस ईलाके तक जिन व्यक्तियों को सप्लाई लिया जाता है जिन व्यक्तियों को सप्लाई किया जाता हैं। उनके नाम मिल गये है उनके नाम अनुसंधान की दृष्टि से गोपनीय रखे हैं।
- इसकी सूचना पर ही हमने कुछ जगहो पर दबिश दी वहां से मादक पदार्थ मिले भी है मामले भी बने हैं। ड्राईवर को 10 से 15 हजार रूपये दिये जाते थे हर ट्रिप के लिये।
- सोचने की बात है कि इस गैरेज चला चलाके कितनी गाड़ियां चोरी करके लायी गयी, तस्करी में प्रयुक्त की गयी। फिर उसको डिस्पोज कर दिया गया। इस हिसाब विस्तृत पूछताछ एवं गहन अनुसंधान से सामने आयेगा।
- एक और जो बड़ी आश्चर्यजनक और नकारात्मक चीज है कि जो 63 कारतुस मिले है वो 9 एमएम पिस्टल के हैं। 9 एमएम प्रतिबंधित बोर है ये जनसामान्य में एवं हथियारो की दुकान पर नहीं मिलता हैं। यह पुलिस, आर्मी एवं केन्द्रिय अर्द्धसुरक्षा बलो के द्वारा ही काम में लिया जाता हैं।
- इस प्रकार जैसा मैने बताया मोना मोस्ट वांटेड इन नारकोटिक्स चेप्टर का एक बड़े अध्याय का पटाक्षेप करने में रेंज की पुलिस को बाड़मेर की पुलिस को सफलता मिली हैं। इसी के साथ हमने 10 से 12 बड़े नारकोटिक्स का धन्धा करने वाले सरगनाओ को गिरफतारी के साथ एक प्रभावी अंकुश लगा सकने में मादक पदार्थ की तस्करी और इसके इस्तेमाल में प्रभावी रोकथाम लगाने के लिये जो राज्य सरकार और राज्य पुलिस द्वारा प्रभावी अभियान के हमने कई
- कार्यवाही टीम का विवरणः
- रेंज स्तरीय साईक्लोनर टीम के कन्हैयालाल एवं प्रमीत चौहान उपनिरीक्षक पुलिस अशोक कुमार कानि. (विशेष भूमिका), स्ट्रांग टीम कानि. देवाराम, नगाराम (विशेष भूमिका) किशोर, झूमरराम, जोगाराम, शेखर एवं टॉरमेडो टीम के जीतेन्द्रसिंह नि.पु., भंवर, पप्पाराम, अनिल, दिनेश कमाण्डो, रोहितास, घासीलाल, मनोहर, श्रवणराम, किशोरराम, रामावतार, अचलाराम ड्राईवर तथा देवाराम उनि थानाधिकारी पुलिस थाना रीको का कार्यवाही में योगदान रहा।
- शाबाशी :
- विकास कुमार, महानिरीक्षक पुलिस, जोधपुर रेंज, जोधपुर ने बताया कि उक्त कार्रवाई में शामिल समस्त टीमों को विशेष कार्यक्रम के दौरान जोधपुर रेंज कार्यालय में सम्मानित किया जाएगा।
महानिरीक्षक पुलिस कुमार द्वारा बताया कि किसी भी आमजन को किसी भी अपराधी या अन्य सूचना जो कि अपराधी से संबंधित है, उसे रेंज पुलिस नियंत्रण कक्ष (संजय) नम्बर 0291-2650811 एवं वाट्सएप नंबर 9530441828 पर सूचना दी जा सकती है। उक्त सूचना देने वाले व्यक्ति की गोपनीयता का पूर्ण रूप से ख्याल रखा जाएगा।
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